श्रीगंगानगर-जब
शब्दों का महत्व ही ना रहे तब खामोशी ठीक है और जब शब्दों की जरूरत ही ना हो समझने
समझाने में तब होता है मौन। खामोशी!मतलब
कुछ भी कहो,सुनो,लिखो किसी पर कोई असर नहीं होने वाला। मौन!
अर्थात जब सब बिना बोले,कहे,लिखे ही एक दूसरे की बात समझ जाएं।
श्रीगंगानगर के संदर्भ में दोनों स्थिति
थोड़ी थोड़ी है। शब्दों का महत्व भी है और इनकी जरूरत नहीं भी। इसलिए कुछ लिखा जाएगा
और कुछ बिना लिखे समझना होगा। यही ठीक रहेगा। मेहमान के सामने। मेहमान! अपने नए
जिला कलेक्टर श्री राम चोरडिया। टेम्प्रेरी कलेक्टर। मेहमान कलेक्टर। कुछ माह बाद
रिटायर हो जाएंगे। जो मेहमान है उसके सामने परिवार वाले कुछ बोलते हैं और कुछ
इशारों में एक दूसरे को समझाते हैं। क्योंकि मेहमान को घर की समस्या बताई नहीं जाती।
सभी बातें उनके सामने
कहना संस्कार नहीं है न हमारे। अब उनको ये कैसे कह
दें कि हमारा सीवरेज अभी तक नहीं बना। चार साल से लगे हैं नेता और प्रशासन। कान पक गए सुनते
सुनते। ओवरब्रिज का क्या होगा! मिनी
सचिवालय का भी प्रस्ताव है...ऐसे कितने ही मुद्दे हैं। किन्तु मेहमान
को ये सब कैसे बताएं। अच्छा नहीं होता ना मेहमान को घर की समस्या बताना। आपसी
विवाद को दर्शाना । हमें तो मेहमान
की तो आवभगत करनी है। “अतिथि
देवो भव:।“ बस नो दस महीने अब
हमारा यही काम है कि अपने काम भूलकर मेहमान कलेक्टर की सेवा करें। हमारा फर्ज है
ये ,मेहमान कलेक्टर पर कोई अहसान
नहीं। मेहमान लंबे समय तक रुके तब भी उससे ये
उम्मीद तो नहीं कर सकते कि वह कोई बड़ी सहायता करेगा हमारी....हां आते जाते कोई सब्जी
ले आया या बच्चे को उसकी जरूरत की चीज दिला लाया तो अलग बात है। इससे अधिक उम्मीद करेंगे तो रंज और अफसोस का कारण होगा। मेहमान
भी कैसे कलेक्टर जैसे। अब मेहमान तो टेम्प्रेरी ही होते है। वैसे सरकार ने टेम्प्रेरी कलेक्टर लगा दिया। ना भी लगाती तो क्या तो यहां के लीडर कर लेते और क्या
विपक्ष। अब ये कलेक्टर कुछ महीने शहर को समझने में लगाएंगे। जब तक समझेंगे तब
विदाई की वेला निकट आ जाएगी। विदाई समारोह होंगे। उपहार दिये जाएंगे। कार्य की तारीफ होगी। व्यक्तित्व की सराहना की जाएगी। बस
उसके बाद चुनाव आ ही जाएंगे। वैसे भी जब प्रस्थान का समय
हो तो इंसान ‘राम-राम” करके समय पास करता है। जो मिल जाए वही अपना।
श्रीराम चोरडिया को तो कलेक्टर का पद तो मिल ही गया।
और जो कुछ मेहमान के रूप में उनको मिलेगा वह अलग से होगा। कलेक्टर के रूप
में उनकी पहली और अंतिम पोस्टिंग शायद यही होगी। इस शहर का क्या होगा? जो अब तक होता आया है वही होगा।
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