Govind Goyal, journalist
आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
Tuesday, February 28, 2012
कुछ तो बोल दे
लब तू खोल दे
कुछ तो बोल दे
,
मन की सारी
गाँठे प्यारी
एक दिन
मुझ संग खोल दे।
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