निजीकरण के अपने फ़ायदे हैं लेकिन हमने इसके फ़ायदों की बजाय नुकसान को अधिक लिया है.
रही बात भ्रष्टाचार की तो मैं यही कहूंगा कि निजीकरण से भ्रष्टाचार का रूप कुछ बदला है. मसलन अगर किसी निजी कंपनी को कोई सरकारी आर्डर लेना है तो उसके लिए उसे अफ़सरों नेताओं को घूंस खिलाना पड़ता है. पहले नेता/अफ़सर खुद ही माल चट कर जाते थे अब निजी कंपनी से कमीशन खाते हैं.
निजिकरण के नाम पर सरकारी नेताओ के रिश्तेदार ही फायदा उठा रहे हैं।निजि संस्थान अपनी मन मानी करते रहते हैं ...उन पर कोई अंकुश सरकार नही लगाती और लुटती है जनता।निजि करण से अब तक जो देखने में आया है कोई फायदा नही हुआ.....आम जनता को।
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निजीकरण के अपने फ़ायदे हैं लेकिन हमने इसके फ़ायदों की बजाय नुकसान को अधिक लिया है.
रही बात भ्रष्टाचार की तो मैं यही कहूंगा कि निजीकरण से भ्रष्टाचार का रूप कुछ बदला है. मसलन अगर किसी निजी कंपनी को कोई सरकारी आर्डर लेना है तो उसके लिए उसे अफ़सरों नेताओं को घूंस खिलाना पड़ता है. पहले नेता/अफ़सर खुद ही माल चट कर जाते थे अब निजी कंपनी से कमीशन खाते हैं.
निजी करण किन लोगो के हाथो मै है.....उन्ही कमीनो के हाथो मै जिन्होने पहले देश कओ लुटा अब निजी करण के बहाने कबजा कर लिया
निजिकरण के नाम पर सरकारी नेताओ के रिश्तेदार ही फायदा उठा रहे हैं।निजि संस्थान अपनी मन मानी करते रहते हैं ...उन पर कोई अंकुश सरकार नही लगाती और लुटती है जनता।निजि करण से अब तक जो देखने में आया है कोई फायदा नही हुआ.....आम जनता को।
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