Monday, March 9, 2009

रंग छोड़ कर अंग लगा ले

रंग छोड़ कर अंग लगा ले
मैं हो जाउंगी लाल रे,
मौका और दस्तूर भी है
तू बात ना मेरी टाल रे।
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इन रंगों को तू भी जाने
मिनटों में बह जायेंगें,
प्रीत का रंग है सबसे पक्का
रगड़ रगड़ थक जायेंगें।

4 comments:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह्! अति सुन्दर भाव.....सचमुच प्रेम से बढकर कुछ भी नहीं.....अभार
होली की हार्दिक शुभकामनाऎं........

डॉ टी एस दराल said...

Vaah, ati sunder.Holi prem ka prateek hai--insaan se, samaaj se aur Desh se.Holi mubarak.

Yogendramani said...

बहुत खूब .......।
बुरा न मानो आज किसी ठिठोली का
खुशियों भरा हो रंग हर बरस होली का
डॉ. योगेन्द्र मणि

Yogendramani said...

बहुत खूब