आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
आप की सुन्दर अभिव्यक्ति में बहुत गहरी बात है, मैं तो यही कह सकता हूं ,"गुनाहे बेलज्जत ज़ुर्म बे मज़ा,कैसा मुकदमा काहे की सज़ा."I can be read at www.sachmein.blogspot.com
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आप की सुन्दर अभिव्यक्ति में बहुत गहरी बात है, मैं तो यही कह सकता हूं ,
"गुनाहे बेलज्जत ज़ुर्म बे मज़ा,
कैसा मुकदमा काहे की सज़ा."
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