श्रीगंगानगर में अवकाश के दिन किसी अधिकारी ने सोचा भी नहीं होगा कि ठण्ड में उनको एक नई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन तो सच्चा सौदा के मुखी संत गुरमीत राम रहीम सिंह को जिले से सकुशल वापिस भेज चैन की बंसी बजा रहा था। अचानक दिन में डेरा प्रेमियों ने जिला कलेक्टर राजीव सिंह ठाकुर के निवास के सामने डेरा जमा लिया। डेरा मुखी १५ जनवरी को अपने गाँव आए थे। कल रात को उनको वापिस भेज दिया गया। डेरा के प्रवक्ता ने कहा कि उनको पाँच मिनट में ना जाने पर पर्चा दर्ज कर लेने की धमकी दी गई। जबकि पहले उनको रहने की अनुमति देने का भरोसा दिलाया गया था। जिला कलेक्टर ने इस बात से इंकार किया है। बाद में डेरा प्रेमी सी एम के नाम एक ज्ञापन देकर लौट गए। श्रीगंगानगर में १५ मई २००७ को डेरा प्रेमियों और सिख समाज के लोगों के बीच हिंसक टकराव हो गया था। उसके बाद से प्रशासन से डेरा प्रेमियों और उनके गुरु पर अंकुश लगा रखा है। सिख समाज के कुछ लोग प्रशासन को आँख दिखाकर यह सब करने को मजबूर करते रहते है। हाल ये है कि डेरा प्रेमियों को अपने घरों में भी सत्संग करने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है। प्रशासन बेवजह चन्द सिख व्यक्तियों को सिख समाज का लीडर मान रहा है। जबकि सालों से डेरा मुखी का सत्संग श्रीगंगानगर जिले में होता आ रहा है। आज पहली बार डेरा प्रेमियों ने प्रशासन पर अपना उसी तरीके से बवाब बनाया है जैसे दूसरा पक्ष करता है।
3 comments:
केसे केसे ओर कितने ओर नये धर्म भारत मै पेदा होते रहेगे, सब साले ........
धन्यवाद
सब धर्म के नाम पर अपना उल्लू साध रहे हैं.
दरअस्ल गुरू गोंविंद सिंह जी ने सिख धर्म में समानता को महत्ता दी है। जबकि पंजाब में स्वर्ण मंदिर आदि पर सवर्ण सिखों का कबजा है। एवं राम रहीम के अनुयायी दलित सिख समाज से है। प्रभावशाली छोटों को आज भी बर्दाशत करने को तैयार नही ! यहीं गुरू राम रहीम से विवाद का कारण है।
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