कृष्णा
इतना काम कर दे,
मुझे
सुदामा होने का वर दे।
बन के
फिर से बहुत ही दीन,
हो जाऊँ
तेरी ही भक्ति में लीन।
सुदामा
पैदल तेरे पास आए,
और तू
मुझे फिर गले लगाए।
गले लग
सुदामा परम
सुख पाए
द्वारिकाधीश
कलयुग में मित्र धर्म निभाए।
बस और
तू इतना सा करना
मुझको
खुद से दूर ना करना
No comments:
Post a Comment