श्रीगंगानगर-राहुल गांधी
से पहले ना जाने कितने
ही “राहुल गांधी” कांग्रेस में आए आकर चले गए। हुआ वही जो मतदाताओं ने चाहा।
जीता वही जिसे मतदाताओं ने वोट दिये। प्रतिनिधि वही चुना गया जिसे अधिक मतदाताओं ने
पसंद किया। ब्लॉक लेवल के पदाधिकारी की इतनी ताकत,पकड़ होती ही नहीं कि वह किसी उम्मीदवार को अपने दम पर जिता सके...हरा सके। जिले में कितने ही ऐसे उदाहरण हैं जहां पदाधिकारियों की पसंद के,उनके गुट के उम्मीदवार होते हैं लेकिन चुनाव नहीं
जीत पाते।विश्वास नहीं तो इस बार देख लेना कांग्रेस के जिलाध्यक्ष कुलदीप इंदौरा के क्षेत्र में....कुलदीप इंदौरा जिलाध्यक्ष होने के बावजूद किसी कांग्रेस उम्मीदवार को अनूपगढ़ से विधानसभा
का चुनाव नहीं जितवा सकते। श्रीकरनपुर में भी यही होगा...वर्तमान पदाधिकारी अपने पसंद के किसी भी वर्तमान कांग्रेसी को टिकट दे दें,वह चुनाव नहीं जीत पाएगा। श्रीगंगानगर ब्लॉक के पदाधिकारी
ले आएं राहुल गांधी
से अपनी पसंद का उम्मीदवार....वही रिजल्ट आएगा जो गत चुनाव में आया था। राहुल गांधी का कांग्रेस जनों के बीच
भाषण अपनी जगह है और कांग्रेस नेताओं के स्थानीय गुट अपनी जगह। जितने गुट...उतने उम्मीदवार। उम्मीदवार की पकड़ मजबूत हुई
तो कोई पदाधिकारी कुछ नहीं कर सकता। वरना,चाहे राहुल
पग फेरा कर लें कुछ नहीं होने वाला। जब बड़े नेताओं के गुट अपनी जगह से टस से मस नहीं
होते तो स्थानीय गुटों से क्या उम्मीद करते हैं राहुल गांधी। राहुल गांधी सहित कोई
ऐसा नेता नहीं जो कांग्रेस की गुट बाजी को दूर कर सके। वो जमाने गए जब कोई भी लल्लू-पल्लू
कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत सकता
था। अब कांग्रेस के सिंबल को कुछ प्रतिशत वोट तो मिल सकते हैं लेकिन जीत तभी होगी जब
उम्मीदवार जनता को पसंद आए। पार्टी की खिलाफत ना
हो। अपवाद कहीं भी हो सकता है। ठीक है नेताओं ने राहुल गांधी के सामने अपनी भड़ास निकाल ली। उनसे मिल लिए।
इससे अधिक ना तो कुछ उनके हाथ में हैं ना राहुल गांधी के पास कोई जादू की छड़ी जिसे उम्मीदवार के सिर पर घुमाने से वह जीत सके। जिले में तो कांग्रेस का कोई ब्लॉक
अध्यक्ष ऐसा नहीं जो पार्टी के उम्मीदवार को जिताने हराने की क्षमता रखता हो। ब्लॉक
अध्यक्ष की तो बात छोड़ो जिला अध्यक्ष और उसके पदाधिकारी भी इतने ताकत वर नहीं है कि
वे अपने दम पर चुनाव जिता सकें...या खुद जीत सकें। ये टीम का काम है। इसलिए राहुल गांधी
से मिलो। उसकी बात सुनो। होगा वही जो होता आया है।
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