सरकार ने पहले तो बाबा रामदेव के जमकर लाड किए। चार चार मंत्री उनकी अगवानी के लिए दंडवत करते हुए एयरपोर्ट आए। कुछ घंटे बाद सरकार ने उनको फिर पुचकारा। फिर आँख दिखाई। जब प्यार,लाड दुलार से कुछ बात नहीं बनी तो सरकार ने वह कर दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। इसे कहते हैं सरकार। पता नहीं ये क्या है? मगर ये सच है की ये लोकतन्त्र तो किसी भी हालत में नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बात करने वाली सरकार देश की जनता से लड़ रही है। मतलब ये कि भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा जनता हो तो हो।
बाबा रामदेव योग के तो मास्टर हैं किन्तु वे राजनीति का जोड़,भाग,गुणा करना उनको नहीं आया। इसलिए मार खा गए। उनके फाइव स्टार अनशन से कई लाख लोगों के दिलों पर सांप लौट रहा था। अब उनको काफी सुकून मिला है। राजघाट पर जाकर गांधी जी को नमन करते हैं उसके बाद सादगी की बजाए फाइव स्टार आंदोलन शुरू किया। जबकि गांधी जी इस प्रकार के दिखावे से परहेज करते थे।
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