Tuesday, August 24, 2010

बसंत को पतझड़ समझते हैं

अपनों के बीच
बेगाने की तरह
रहता हूँ,
कोई क्यों जाने
क्या क्या
सहता हूँ,
वो पतझड़
समझते हैं
जो
बसंत कहता हूँ।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

आप को राखी की बधाई और शुभ कामनाएं.