Wednesday, August 5, 2009

रिश्तों के झरने बहतें हैं

बंधन में बंधने के बावजूद
बंधने का अहसास
ना हो तो उसे
स्नेह,प्यार,प्रीत,ममता
लाड ,दुलार कहते हैं,
ये सब किसी का भी
हो सकता है,
बहिन,मां,भाभी,
पत्नी,प्रेयसी,चाची,ताई
कोई माई,मामी,बुआ का ,
ये हिंदुस्तान है
यहाँ तो
रिश्तों के झरने बहतें हैं।

3 comments:

Vinashaay sharma said...

sach kha

वाणी गीत said...

एक अकेली नारी सब रिश्तों में न्यारी ..!!

हेमन्त कुमार said...

हां यह हिन्दुस्तान है।यहां रिश्तों के झरने बहते है।हमारा भी रिश्ता है आपसे।आभार।