Tuesday, November 15, 2011
जादूगर के जादू का इंतजार
श्रीगंगानगर-राजस्थान मंत्री परिषद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में विश्वास व्यक्त करते हुए सभी स्तीफ़े उनको सौंप दिये हैं। नई मंत्री परिषद या तो बुधवार को शपथ लेगी अथवा राष्ट्रपति की राजस्थान यात्रा के बाद। वैसे इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था। गोलमा देवी लंबे समय से “नखरे” कर रही थी। आमीन खान और महिपाल मदेरणा को अलग अलग कारणों से हटाया जा चुका है। रामलाल जाट ने खुद मंत्री पद छोड़ दिया। भरोसी लाल जाटव, बाबू लाल नागर,भंवर लाल मेघवाल,शांति धारीवाल जैसे मंत्री लंबे समय से अशोक गहलोत के लिए मुश्किल बने हुए थे। ऐसे में पुनर्गठन के अतिरिक्त कोई रास्ता भी नहीं था। हालांकि मुख्यमंत्री के पास अधिक कोई विकल्प नहीं थे। इसलिए उन्होने थोड़ा बहुत फेरबदल के लिए पार्टी को तैयार किया था। किन्तु राजनीतिक हालत एक दम से ऐसे बदले कि सब संभावनाएं इधर उधर हो गई। सोमवार दोपहर बाद राजनीतिक गलियारों की दीवारें थोड़ी बोलने लगीं। उसके बाद बिलकुल साफ हो गया कि समूहिक स्तीफ़े ही राजनीति की इस समस्या का एक मात्र ईलाज है। इससे एक तो अशोक गहलोत के जाने की अटकलों पर विराम लगेगा। दूसरा उनकी ताकत बढ़ेगी। जिससे वे बचे हुए समय में नई मंत्री परिषद के साथ कुछ ऐसा करे जिससे राजस्थान में पार्टी की बिगड़ी हालत कुछ सुधारे नहीं तो और अधिक ना बिगड़े। उधर मंत्रियों के समूहिक स्तीफ़े के बाद मंत्री पद पाने के इच्छुक कांग्रेस विधायकों ने अपने आकाओं के माध्यम से लोबिंग शुरू कर दी। श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में कांग्रेस के कुल 6 विधायकों में से 5 पहली बार विधान सभा पहुंचे हैं। हनुमानगढ़ के विनोद कुमार तीसरी बार विधायक बने हैं। अगर जाति के संदर्भ में संभावना तलाशे तो विनोद कुमार मंत्री परिषद में जगह पा सकते हैं।वे जाट भी हैं और अनुभवी विधायक भी। भादरा के निर्दलीय जयदीप डूडी तीन साल से ईनाम के इंतजार में हैं।किन्तु अपेक्स बैंक के चुनाव के बाद वे इस दौड़ से एक बार तो बाहर हो गए थे। निर्दलीय गुरमीत सिंह कुनर को परिषद में जगह पक्की है। इनके अलावा किसी का नंबर लगने के चांस नजर नहीं आते। हां,ये सच है कि अशोक गहलोत के पास एक तो अधिक च्वाइस नहीं है दूसरा उनको अपनी और पार्टी की गिरती छवि को बचाना है।इसके लिए वे क्या जादू दिखाते हैं इसका इंतजार सभी को है।
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1 comment:
आगे-आगे देखो होता है क्या?
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