Sunday, May 31, 2009

एसपी साहब ! आप तो सुरक्षित हैं ना


यह श्रीगंगानगर के एक आम आदमी का दर्द है जो यहाँ के "प्रशांत ज्योति" नामक अख़बार में एक पत्र के रूप छापा गया है।बॉर्डर से लगे इस जिला मुख्यालय पर एक समान जंगल राज है। आप की सुरक्षा आप को ही करनी है। अधिकारियों को बता भी दें तो कुछ होने की उम्मीद नहीं होती। यूँ तो पुलिस की गश्त भी होती है,हर गली मोहल्ले के लिए बीट अधिकारी होता है। लेकिन इसके बावजूद आवारा लोग सांड की तरह से दनदनाते घूमते हैं। कहने को तो यहाँ लोकतंत्र के वे सभी प्रकार के जनप्रतिनिधि भी हैं जो अन्य नगरों में पाए जाते हैं। यहाँ तो नेताओं और अधकारियों का ऐसा गठजोड़ होता है कि उसमे चुप्प रहा कर मीडिया भी अपना रोल शानदार ढंग से निभाता है। वह लल्लू पंजू, छोटे कर्मचारियों के खिलाफ तो लिख कर वाहवाही लूट लेते हैं। जिला कलेक्टर,एसपी के कामकाज पर कोई टिप्पणी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। उनकी नजरों में तो सब को भला बने रहना है। इसी कारण से श्रीगंगानगर के हालत दिन पर दिन बिगड़ रहें हैं ।

3 comments:

Udan Tashtari said...

इस पत्र के माध्यम से आम नागरिक के परेशानी उजागर हो रही है, शायद किसी सक्षम कान तक बात पहुँचे. नारायण!! नारायण!!

निर्मला कपिला said...

क्या करें प्रभूजी इस सिस्टम मे हर तरफ प्रेशानियां ही हैं अगर आपकी नगरी मे ये हाल है तो हम जनों का क्या होगा आभार्

रंजन (Ranjan) said...

्गहलोत जी, १०० दिन पुरे हो गये.. लोकसभा चुनाव भी हो गये... अब जरा एक नजर इधर भी...सुन रहे है न आप?