Saturday, May 9, 2009

फ़िर बेच देंगे अपना जमीर

मशीनों में बंद हो गई
नेताओं की तकदीर,

जैसे तैसे कुर्सी पाने की
कर रहें हैं तदबीर,

कुर्सी मिल जाए तो
एक बार फ़िर से
बेच देंगे अपना अपना जमीर।

3 comments:

Murari Pareek said...

जमीर नहीं जागीर बेचेंगे,
सब मौन मूक बस देखेंगे!
और जमीर इनकी अब जागीर नहीं,
जमीर तो कब मर चूका जनता का अरमान बेचेंगे !!

alka mishra said...

प्रिय मित्र ,साहित्य हिन्दुस्तानी पर पधारने और अपनी आमद दर्ज कराने का शुक्रिया ,अगर आप अपने अन्नदाता किसान का तथा धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये एवं जानकारियों का लाभ खुद भी उठाएं तथा जानकारी किसानों एवं रोगियों में बाँटें

Shikha .. ( शिखा... ) said...

Bahut sahi kaha aapne.. Narayan Narayan.. Satya Vachan