Monday, October 19, 2015

हम से भूल हो गई, हमको माफी देई दो......



श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर विधानसभा के वे वोटर एक साइड मेँ खड़े हो जावें, जिन्होने विधानसभा चुनाव मेँ बीजेपी को हराया। अब सब साष्टांग प्रणाम की मुद्रा मेँ आ जाओ। नवरात्रों के दिन है, इसलिए यही मौका है शक्ति स्वरूपा, तमाम सिद्धियों, निधियों को  देने वाली, पाप हरने मेँ सक्षम देवी की आराधना करने का। यही समय है वरदान देकर किस्मत बदल देने क्षमता रखने वाली देवी की पूजा, वंदना करना का। साथ मेँ अर्चना, विनय और गुहार लगाने का भी। तो सब वोटर साष्टांग प्रणाम करो, राजस्थान की महादेवी, महारानी, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को। याचना करो, हे देवी, हमें  माफ करो। गुहार लगाओ, महारानी इस बार क्षमा कर दो। इसी मुद्रा मेँ पड़े पड़े बोले, हम से भूल हो गई, हमको माफी देई दो। बोलो, शरमाओ, घबराओ मत। यही एक मात्र उपाए है, इस दुर्दशा से मुक्ति का। देवी बड़ी दयालु हैं। बता दो कि हमारी भूल के कारण हमारे उस गंगानगर की क्या दुर्गति हो गई, जिसे चंडीगढ़ बनना था। [बच्चा कभी तो बड़ा होगा ना!] हाथ जोड़ कर मीठी वाणी मेँ कहो, एक भूल का इतना बड़ा बदला मत लो माई। अरे, बता तो दिया कि महामाई बड़ी कृपालु हैं, इसलिए सब बता दो। हर कष्ट गिना दो। बता दो कि आपने छांट छांट कर ऐसे अफसर इधर भेजे हैं कि वे किसी की कोई परवाह ही नहीं करते। उनके लिए जनता का कोई अर्थ नहीं। उनके सामने जन प्रतिनिधि निरर्थक हैं। उपेक्षा, अपमान करना उनका शौक है। आपकी कृपा से वे ऐसे उद्दंड हो चुके कि उनको किसी का डर नहीं। कोई ज़िम्मेदारी नहीं समझते। शहर मेँ अराजकता की स्थिति है। नाजायज कब्जे खूब हैं, सड़कों का अता पता नहीं। कोई भी सरकारी दफ्तर ऐसा नहीं जहां आपकी कृपा ना बरस रही हो। बस, इस शहर की जनता ही निर्भाग है, जो तरस रहा है। शहर मेँ किसी का होना ना होना  सब बराबर हो चुका है। त्राहि त्राहि मची है शहर मेँ। ऐसी स्थिति तो तब भी नहीं थी, जब भैरों सिंह शेखावत यहां से हारे थे। पिछड़े तो थे, किन्तु इस तरह से नहीं। अब तो समझ नहीं आता कि कौनसी राह पकड़ें जो आपके दर को जाती हो।  आपका पूजारी कौन है, ये भी नहीं मालूम। पता चल जाए तो उसी के माध्यम से आपको चुनरी पहना कर अपनी कामना पूरी करवाने  मेँ शायद सफल हो सकें। हे माता, आपने कोई संकेत भी तो नहीं दिया, इस बाबत। महारानी, इस बार माफ करो। आइंदा गलती करने से पहले सोचेंगे। और हमारे पास कोई चारा भी तो नहीं है। अब तो ये धमकी भी नहीं दे सकते कि पंजाब मेँ मिल जाएंगे। केवल आपका ही सहारा और आसरा है। नवरात्रों मेँ आपके दर से कोई खाली नहीं जाता। सबकी झोली भरी जाती है। बस, एक बार गंगानगर की तरफ देख लो। करुणामई आँख से। दया भाव से। दयालु दिल से। देने के भाव से। महामाई, हमें कौनसा झंडी वाली कार चाहिए, हमें तो कुछ सड़कें  और जनहित की सोच रखने वाले, मान देने वाले अफसरों की दरकार है। आप तो अंतर्यामी हैं। सब जानती हैं कि क्या क्या जरूरत है। बस, हाथ उठाकर तथास्तु कद दो। आपका क्या जाएगा? हमारा मान रह जाएगा। जो हम खो चुके हैं। चुनाव कौनसा कुम्भ का मेला है, जो 14 साल बाद आएंगे। ये तो आए लो! इसलिए हमें क्षमा करो। हम पर दया करो। हमारी याचना को स्वीकार करो। हमारा बेड़ा पार करो। आपके कोई कमी तो है नहीं। इसलिए खोल दो खजाना। जनता आपके गुण गाएगी। लंबी उम्र की दुआ करेगी। बस, कह दिया कि आइंदा गलती नहीं करेंगे।

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