श्रीगंगानगर के डीएम आशुतोष एटी पेडणेकर राज्य सरकार के मंत्रियों,बड़े अफसरों से भी बहुत बड़े पद के हैं। इसी कारण उन्होंने अपने पास आने जाने वालों पर निगाह रखने के लिए पांच सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं। इनकी नजर से बचना बहुत ही मुश्किल है। एक अफसर के लिए इतने कैमरे दिल्ली में भी नहीं होंगे। डीएम से मिलने के लिए छोटा सा वेटिंग रूम है। वहां दो कैमरे हैं। एक वहां बरामदे में है जहाँ से वोटिंग रूम में दाखिल होते हैं। एक बरामदे से बाहर। इसके अलावा एक कैमरा उनके निजी सचिव के कमरे के बाहर है। इतने सीसीटीवी कैमरे जयपुर में किसी मंत्री,अधिकारी के ऑफिस या घर में नहीं मिलेंगे। पता नहीं डीएम को किस से क्या डर है जो इतने कैमरे लगाने की जरुरत पड़ी। डीएम इस बारे में कुछ भी नहीं कहते।
एक बात और, नव दम्पति विवाह का पंजीयन करवाने के लिए डीएम [मैरीज रजिस्ट्रार ] के समक्ष पेश होते हैं। ये जोड़े वहां से कोई अच्छी याद अपने साथ लेकर नहीं जाते। पेडणेकर जी पहले तो उनको लम्बा इंतजार करवाते हैं। जोड़े इंतजार के दौरान वहां आने आने वालों की नज़रों से अपने आप को असहज महसूस करते हैं। बहरहाल, युगल जब उनके दरबार में पहुँचते हैं तो डीएम उनसे उनके नाम पता यूँ पूछते जैसे नव विवाहित दम्पति नहीं बंटी-बबली जैसे कोई शातिर मुजरिम हों। या शादी करके उन्होंने कोई गुनाह कर लिया हो। पहले तो इंतजार के कारण मूड ऑफ़ उस पर पुलिसिया स्टाइल की पूछताछ । कोई कुंवारा साथ हो तो शादी करने से तोबा कर ले। साहब जी हमारी सलाह मानो तो ऐसे दम्पतियों को स्नेह से कुर्सी पर बिठाओ,उनका मुहं मीठा करवाओ। मिठाई ना हो तो मिश्री इलायची चलेगी। उनको दूधो नहाओ, पूतो फलो का आशीर्वाद दो। फिर देखो। कहने को तो ये केवल बात है। आपके मुहं से निकलेगी तो उनके लिए सोगात हो जाएगी। वे बाहर आकर हर जगह आपके गीत गायेंगे। अपने बच्चों को आपके बारे में बताएँगे। उनका ही नहीं आपका सूना चेहरा भी खिल उठेगा। डीएम जी बड़े वही होते हैं जो बड़ा पन दिखाते हैं। वरना तो बड़े दही में पड़े होते है। जिनको चटकारे लेकर खाया जाता है।
" कहना है इतना कुछ, मगर कह नहीं सकते,फितरत है अपनी भी चुप रह नहीं सकते।"
6 comments:
आप चुप नही रह सकते ये तो नाम देख कर ही पता चल गया था। बाँटते रहिये अपना ग्यान मगर एम. डी पर कोई असर नही होने वाला। शुभकामनायें। वैसे सुझाव बहुत अच्छा है।
अलग ही तेवर की जोरदार पोस्ट! ट्रैक बदलने की बधाई।
अजी यह एम डी कोई भुगत भोगी होगा, बेचारा बीबी का सताया हुआ, तो लोगो को केसे आशिर्वाद दे, केमरे इस लिये लगा रखे है कि बीबी जब बेलन ले कर आये तो झट से सरक ले:)
अजी आपको शायद ये पहला बन्दर दिखा है जिसके हाथ में उस्तरा है पर अपनी तो जिंदगी गुजर गयी इस प्रकार के बंदरों की सांगत में जो हाथ में उस्तरा लिए फिरते हैं.( पिछले १५ सालों से आईएस ऑफिसरों की तीमारदारी कर रहा हूँ.)
ज्यादा तो मैं भी नहीं जानता पर यूं कहते सुना है, बडे(बुजुर्ग) लोगो को:-
"झुकेगा वही जिसमें जान होती है,
अकड मुर्दे की खास पहचान होती है!"
shri raj bhatiya jee, aap to octopas baba se bhee adhik jankar nikale. aap to sab jante hain. kamal hai.
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