----- बात तो, कभी भी कुछ भी ना थी, मैं तो बस यूँ ही मुस्कुराता रहा, अपनों को खुश रखने के लिए अपने गम छिपाता रहा। ----- मेरे अन्दर झांकने वाले गुम हो गए दो नैन, कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं कैसे मिले अब चैन।
बात तो, कभी भी कुछ भी ना थी, मैं तो बस यूँ ही मुस्कुराता रहा, अपनों को खुश रखने के लिए अपने गम छिपाता रहा। बहुत खूब। जिसे ये कला आ गयी समझो उसे जीना आ गया। शुभकामनायें
8 comments:
मुस्कुराहटों से मुस्कुराहटें बढती हैं ...इसलिए मुस्कुराते रहे ...गम छिपा कर भी ...कि और लोग मुस्कुरा सकें ...!!
बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
बहुत खूब। जिसे ये कला आ गयी समझो उसे जीना आ गया। शुभकामनायें
वाह! बहुत खूब!!
नारायण!! नारायण!
अन्तर्मन तो है न ।
आभार ।
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
यूँ समझिये नारद मुनि जी कि लगभग हरेक का ही यही हाल है !
चलिए एक चुटकी आज आपके साथ मेरी भी ;
उस प्रदेश में
आजकल काफी
"मिस- मैनेजमेंट" चल रही है !
क्योंकि वहाँ
"सुश्री" की गवर्नमेंट चल रही है !
वाह! बहुत खूब!!
मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
Very Fine Sir....
Regards
Ram Krishna Gautam
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