Sunday, February 21, 2010

तू तो हो गई री जोगन

सखियाँ खेलन को आई
बन के सजना,
मैं ना खेलूंगी तुम संग
करो मोहे तंग ना।
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साजन के रंग में रंगकर
साजन की हो ली,
तू तो हो गई री जोगन
खेले ना होली।
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घर घर धमाल मचाए
सखियों की टोली,
साजन परदेश बसा है
कैसी ये होली।

4 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

साजन परदेश बसा है
कैसी ये होली।..
इन लाइनों नें बहुत कुछ कह दिया.
नारायण-नारायण.

समय चक्र said...

नारायण नारायण नारायण

Anonymous said...

साजन की हो ली,
तू तो हो गई री जोगन !!!
alnkaron se bhara sunder holi geet !
narayn narayn !

KK Yadav said...

बड़ा दिल खोलकर लिखा...होली की यादें रंग भरने लगी हैं..बधाई.
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शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".