Govind Goyal, journalist
आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
Saturday, February 20, 2010
साजन का संग ना
सखियाँ रंगों में हो ली
संग है सजना,
मेरी होली तो हो ली
साजन का संग ना।
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रंगों में भीगी सखियाँ
मुझसे यूँ बोली,
साजन के संग बिना री
काहे की होली।
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हाथों में ले पिचकारी
आई मेरी सखियाँ,
साजन की राह निहारे
मेरी सूनी अखियाँ ।
3 comments:
डॉ. मनोज मिश्र
said...
vaah...
Sat Feb 20, 05:42:00 PM GMT+5:30
संगीता पुरी
said...
बढिया !!
Sun Feb 21, 12:14:00 AM GMT+5:30
देवेन्द्र पाण्डेय
said...
नारायण!नारायण!
Sun Feb 21, 07:54:00 AM GMT+5:30
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3 comments:
vaah...
बढिया !!
नारायण!नारायण!
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