श्रीगंगानगर-- क्या यह संभव है कि कोई मंत्री, किसी विभाग का मुखिया सीएमओ को महत्व ना दे! ऐसा नामुमकिन नहीं तो मुश्किल बहुत है। आरपीएस की तबादला लिस्ट के बाद इस प्रकार की चटर पटर कई जगह सामने आई। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गृह मंत्री शांति धारीवाल के बीच दूरी या वैचारिक,राजनीतिक मतभेद थे। तब सीएमओ की लिस्ट ही विभाग की तबादला सूची होती थी। जनप्रतिनिधि सीएमओ में डिजायर भेजते। इन दिनों दोनों में सम्बन्ध सामान्य है। इसलिए सी एम आम तौर पर डिजायर सीधे गृह मंत्री को देने का संकेत करते थे। फिर भी मुख्यमंत्री को गृह विभाग से सम्बंधित डिजायर मिलती ही रही। सीएमओ ने किसकी सिफारिश की किसकी नहीं की। यह तो वही जाने । मगर बहुत सी डिजायर का परिणाम नहीं निकला। इस वजह से चर्चा ये होने लगी कि गृह मंत्री सीएमओ की सिफारिश की अधिक परवाह नहीं करते। अब डीजीपी और गृहमंत्री में खटपट की खुसर फुसर है। दोनों एक दूसरे की बात पर कभी कभी कान नहीं धरते। फ़िलहाल जिसकी डिजायर के माफिक नियुक्ति नहीं हुई उनको सी एम के पास जाने को कहा जाता है। वहां तक जाने की हिम्मत कम ही करेंगे। यही तो वे चाहते हैं। तभी तो बड़े अफसर कई स्थानों पर अपने प्यादे फिट करने में सफल हो जाते हैं। हालाँकि इस प्रकार की खटपट को कोई साबित नहीं कर सकता। लेकिन कार्यप्रणाली से कहाँ क्या क्यूँ हो रहा है इसका अंदाजा जरुर लग जाता है।
ये तो पहले सोचते--बी एस पी छोड़ कांग्रेस का पल्लू पकड़कर मंत्री बने विधायक बेबस हैं। ऐसे ही एक मंत्री ने बैठक में सीएम से कहा कि उसके इलाके में छः क़त्ल हो गए। बार बार कहने के बावजूद सीआई नहीं बदला गया। दूसरे मंत्री ने कहा कि दौरे के समय कांग्रेस के दफ्तर खुले नहीं मिलते। असली कांग्रेस का मंत्री बोला, तो अपने दफ्तर में चले जाया करो। इस ताने पर दलबदलू मंत्री को ताव आ गया। आइन्दा हम अपने दफ्तर में ही रुका करेंगे , वह बोला। बैठक के बाद उनको कई शुभचिंतकों ने बताया कि अपना घर छोड़ने का क्या नुकसान होता है।मंत्री तो हैं परन्तु चलने चलाने को तो राम जी का नाम ही है।
बात का बतंगड़--कृषि विपणन मंत्री गुरमीत सिंह कुनर के लिफ्ट में फंसने की खबर ने खासकर इस इलाके में खूब पाठक बटोरे। असल में तो कोई बात ही नहीं थी। श्री कुनर अपने एक अधिकारी के साथ लिफ्ट में दाखिल हुए। लिफ्ट मैन तो था ही। एक मंडी समिति का अध्यक्ष आ गया जो बीजेपी का था। लिफ्ट का बटन दबाया वह चली नहीं। लिफ्ट मैन ने यह कहकर कि वजन अधिक है अध्यक्ष को लिफ्ट से बाहर कर दिया। लिफ्ट फिर भी ऊपर नहीं उठी । लिफ्टमैन खुद भी निकल आया। श्री कुनर ने एक,दो मिनट बटन दबाया,लिफ्टमें कोई हरकत नहीं हुई। श्री कुनर बाहर आ गए। हाँ लिफ्ट में फंसने की खबर छपने के बाद श्री कुनर के पास शुभचिंतकों के फोन बहुत आए। इसके अलावा जो भी उनको मिलता यही सवाल करता, लिफ्ट में कैसे फंस गए? किसी को बता देते किसी के सामने बस मुस्करा कर रह जाते।
अब एक एस एम एस । भेजने वाले का नाम नहीं पता। सन्देश है--एक करोड़ को कहते हैं एक खोखा। पांच सौ करोड़ को एक कोड़ा। अब एक हजार करोड़ का मतलब है एक राडिया। दस हजार करोड़ अर्थात एक कलमाड़ी। एक लाख करोड़ को एक राजा। दस कलमाड़ी प्लस एक राजा बराबर एक शरद पवार ।
1 comment:
महाराष्ट्र माझा नामक एक वेबसाईट पे Most Corrupt Indian -२०१० के लिए मतदान चल रहा है, उसमे शरद पवार साहब को सब से ज्यादा वोट्स मिल रहे है, देखते है अखिर मैं कोन जितता है, भ्रष्टाचारी तो सब है लेकिन उन सबके बाप का खिताब जनता किसे देती है येह देखना रोमांचकारी होगा.
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