श्रीगंगानगर। नेताओं की खामोशी और जनता की चुप्पी के बीच प्रशासन
लोगों मेँ भय का शासन बनाने मेँ कामयाब हो चुका है। उसका उदाहरण है राधेश्याम गंगानगर
वाली रोड। इस रोड पर रहने वाले और कारोबार करने वाले दिवाली को भूल इस बात का प्रबंध
करने मेँ लगे हैं कि कब्जा, थड़ा टूटने के बाद की व्यवस्था क्या करें, जिससे को परेशानी ना हो। कारोबारियों ने अपनी दुकानों के आगे लगे छज्जे को
हटाने का काम शुरू कर दिया है। बोर्ड, लोहे की एंगल सब हटाई जा
रही हैं। अस्थाई निर्माण को भी हटाया जा रहा है। लोग आपस मेँ चर्चा कर रहे हैं। कोई
कहता है कि राधेश्याम का कब्जा टूटेगा तो अपना भी टूट जाएगा,
इसलिए अभी चिंता किस बात की। किसी का विचार है कि पहले ही इंतजाम कर लें तो ठीक रहेगा।
स्थिति ये है कि लोग दिवाली की खुशी, उमंग, उलास को भूल चुके हैं। उसके बदले अपने अपने मकान बचाने के जुगाड़ मेँ लगे हैं।
हैरानी इस बात की कि अधिकांश लोग राधेश्याम गंगानगर के पास जाने की बात से इधर उधर
झाँकने लगते हैं।
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