श्रीगंगानगर। दृश्य 1- महिला
ने घर का दरवाजा खोला। उधर से तेज गति से बाइक आई। दरवाजा टूटा। महिला दूर गिरी।
सर पर चोट लगने से मौत। बाइक सवार हॉस्पिटल मेँ भर्ती। स्थिति गंभीर। 2- बच्चा नजर
बचा के घर से निकल गया। जैसे ही बाहर कदम बाहर रखा कार की चपेट मेँ आ गया। मौके पर
ही मौत। लोगों ने कार को तोड़ा। मालिक को पीटा। एक दूसरे के खिलाफ केस। 3-चार पाँच
आवारा किस्म के लड़कों ने अपनी अपनी बाइक सड़क पर लगाई और करने लगे अपनी भाषा मेँ
बातचीत। सब कुछ सड़क किनारे था। इसलिए घर
मेँ सुनाई दे रहा था। घर मालिक ने बाहर निकल उनको समझाने की सोची । पहले तो गेट
नहीं खुला घर का, क्योंकि बाइक
आगे लगी थी। बाइक हटवाई। उनको घर के आगे से हटने को कहा तो झगड़ा हो गया। लड़कों का
कहना सही था, सड़क पर खड़े हैं, तुझे
क्या? दोनों मेँ झगड़ा
हुआ। लड़कों ने समझाने आए व्यक्ति को पकड़ लिया। घर की महिला छुड़ाने आई तो
उसके साथ भी बुरा बर्ताव। पुलिस को फोन किया। लड़के चले गए। पुलिस ने कुछ नहीं
किया। 4-राह चलते बदमाश एक घर मेँ घुस गए। लड़कियों से बदतमीजी की। सामान ले गए।
सीसीटीवी कैमरे नहीं थे। इसलिए पुलिस कुछ ना कर पाई। 5- कड़ाके की ठंड मेँ दरवाजे
की घंटी बजी। दरवाजा खोला तो बदमाश घर मेँ घुस गए। बुजुर्ग को मारा और सामान लूट
कर फरार। वारदात की जानकरी कई घंटे तक किसी को नहीं हुई। 6-हर घर के आगे कार, बाइक्स खड़ी हैं। घर मालिक परेशान। कोई रास्ता नहीं। कोई किसी को कुछ कह
नहीं सकते। 7- घर ऊंचे, सड़क नीची। लोगों को हो रही है आने
जाने मेँ परेशानी। बाहर रैम्प बना नहीं सकते। कब्जा होगा। इसलिए लकड़ी की सीढ़ी बनाई है। आते जाते समय बाहर लगा देते हैं। 8-
घर की दीवार के साथ नाली बनाई प्रशासन ने। ठेके पे जैसी बननी थी बनी। नाली का पानी
घर की नींव मेँ जाता रहा। कई मकानों को नुकसान। ये सभी दृश्य आज बेशक काल्पनिक हैं। लेकिन श्रीगंगानगर मेँ
दशकों पुराने थड़े टूटे तो ये काल्पनिक दृश्य हकीकत बन जाएंगे। । गली गली होंगे ऐसे
सीन। कोई कुछ नहीं कर सकेगा। क्योंकि घर का दरवाजा सड़क के किनारे होगा और किवाड़
सीधे सड़क पर खुलेंगे । सड़कों की स्थिति ट्रैफिक के लिहाज से वैसी की वैसी रहेगी, क्योंकि लोगों के वाहन तो सड़कों पर ही खड़े रहेंगे। जनता बेशक खामोश है।
राधेश्याम गंगानगर हार से उबर नहीं पाए हैं। किन्तु कोई ये ना सोचे कि थड़े टूटने
से केवल सीवरेज की समस्या होगी। इसके साथ और भी कई प्रकार की परेशानी जनता के
सामने खड़ी हो जाएंगी। अनेक प्रकार की आशंका हर पल रहेगी। क्योंकि घरों की ओट
समाप्त हो जाएगी। परदा हट जाएगा। प्रशासन के पास इन समस्याओं, परेशानियों का कोई समाधान नहीं है। वह केवल और केवल लकीर पीट रहा है। उसे
इस बात से कोई मतलब नहीं कि थड़े दशकों
पुराने हैं। जिसने घरों के आगे ये व्यवस्था की, वो कोई पागल
तो नहीं था। फिर दशकों पहले नाली-नाले बना सड़क की हद भी प्रशासन ने बनाई है, इन स्थानों पर। ठीक है, प्रशासन को इससे कोई लेना
देना नहीं। उसे तो कोर्ट के आदेश की पालना करनी है बस । लेकिन ये पढ़ा-लिखा प्रशासन
जन जन की परेशानी, दुख तकलीफ से कोर्ट को तो अवगत करवा सकता
है। वो भी तो न्याय के लिए है। वो भी तो समझदार है। चलो,
प्रशासन ये ना करे तो ना करे। गौशाला रोड पर करके दिखा दे कुछ। जहां से कब्जे हट
गए। थड़े टूट गए। उधर सड़क बनाओ। नाली का निर्माण करो। शहर मेँ जिन स्थानों पर
मुरदों को जलाया जाता है वो तो दिन पर दिन
निखर रहें हैं और जिधर जिंदा लोग रहते हैं, उसकी स्थिति
बिगाड़ने के काम किए जा रहे हैं। अजब शहर है और गज़ब है उस शहर के नेता। निराले हैं
अफसर। लोगों की छोड़ो, वे तो जैसे हैं,
उसका जिक्र कई बार कर चुके हैं। दो लाइन पढ़ो कचरा पुस्तक की—
हमारा
क्या, खामोशी
से गुजर जाएंगे वक्त की तरह,
ये वादा रहा, नाम रहे ना रहे
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