श्रीगंगानगर। गौशाला रोड पर चबूतरों
के टूटने की बाद उन परिवारों की परेशानी को लिखना मुश्किल है, जो सालों से उधर निवास कर रहे हैं। दशकों से
बने चबूतरे टूट गए। साथ मेँ टूट गए सेफ़्टी टैंक। गंदा पानी घर के बाहर सड़क पर। घरों
के परिवारों को पेशाब, पाखाना करने के लिए कितनी परेशानी होगी, कोई इसकी कल्पना कर सकता है। सड़ांध के कारण उधर रहना मुश्किल। इधर दिवाली, कोई जाए तो जाए किधर। फिर इधर उधर जाना भी तो समस्या का समाधान नहीं। लोगों
को पानी की पाइप जुड़वाने के लिए पाँच सौ रुपए से लेकर एक एक हजार रुपए देने पड़े। किसी
के एक दिन बाद पानी आया, किसी के दो दिन बाद। इन लोगों की स्थिति
जानने के लिए ना तो कोई नेता आया ना प्रशासन। इस सड़क के दोनों ओर रहने वालों की स्थिति
इतनी खराब है कि उसे शब्दों मेँ लिखना मुश्किल। ये लोग बेबस हो चुके हैं। इनको कब्जे
टूटने का कोई गम नहीं, अफसोस इस बात का है कि दिवाली पर सेफ़्टी
टैंक टूटे। जब राधेश्याम वाली सड़क का नंबर आया तो अभियान रुक गया। इन लोगों की दिवाली
तो काली हो गई।
खेत्रपाल के मंदिरों मेँ उमड़ी भीड़
श्रीगंगानगर। दिवाली से पहले की
चौदस पर आज सुबह से ही खेत्रपाल मंदिरों मेँ नर नारियों की भीड़ उमड़ पड़ी। सबसे अधिक
भीड़ पुरानी आबादी मेँ उदाराम चौक पर स्थित खेत्रपाल के मंदिर मेँ थी। इस मंदिर मेँ
तो सूरज उगने से बहुत समय पहले से ही लोगों का पहुँचना शुरू हो गया था। मंदिर के अंदर
जाने के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी। सरसों का तेल, मीठे चावल, सिंदूर सहित अनेक प्रकार की सामग्री लोगों
ने खेत्रपाल को अर्पित कर घर मेँ सुख, शांति की कामना की, मन्नत मांगी। मंदिर आने वालों मेँ महिलाओं की संख्या अधिक थी। अग्रसेन नगर
और सेतिया कालोनी के खेत्रपाल मंदिरों मेँ भी लोगों की आवा जाही रही। दिवाली की चौदस
पर खेत्रपाल को तेल अर्पित करने का अधिक महत्व बताया गया है। लेकिन गत कई सालों से
खेत्रपाल के मंदिरों मेँ आने वालों की संख्या बहुत अधिक बढ़ी है।
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