श्रीगंगानगर । बाल साहित्य के वरिष्ठ रचनाकार एवं
व्यंग्यकार गोविंद शर्मा (संगरिया) ने कहा है कि आज के बच्चे साहित्यिक पुस्तकों
से दूर हो रहे हैं। उन्हें वापस पुस्तकों की दुनिया से जोडऩे के लिए बच्चों के साथ
उनके अभिभावकों को भी पुस्तक संस्कृति से जुडऩा पड़ेगा। वे रविवार को यहां सृजन
सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ के अंतर्गत भविष्य एकेडमी में आयोजित
कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए लिखना निसंदेह
बेहद कठिन कार्य है लेकिन उन्होंने प्रारंभ से ही बाल मनोविज्ञान को समझकर काम
किया, इसलिए कभी कठिनाई नहीं
आई। बाल साहित्य को दोयम दर्जे का मानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो साहित्यकार
बालकों की अभिरुचि के अनुरूप बाल साहित्य का सृजन नहीं कर पाते हैं, वे ही इसे दोयम दर्जे का मानते हैं जबकि
बाल साहित्य पहले भी मुख्य धारा में था और आज भी है।उन्होंने अपनी गद्य व्यंग्य
रचना ‘भूकंप’, बालकथा ‘धूप-छांव’, कुछ लघुकथाएं और बाल कविताओं का वाचन किया। कार्यक्रम में
उपस्थित साहित्यकार डॉ. विद्यासागर शर्मा,
सुरेंद्र सुंदरम्, द्वारकाप्रसाद
नागपाल ने उनसे बाल साहित्य एवं आज के बच्चों से संबंधित कई सवाल किए। कार्यक्रम
की अध्यक्षता करते हुए अध्यापिका श्रीमती नीलम पारीक ने इस तरह के आयोजन नियमित
करवाने की बात करते हुए कहा कि इससे इलाके के साहित्यकारों से रूबरू होने का मौका
मिलता है। साहित्यकार मोहन आलोक ने कहा कि मौलिक सोच साहित्यकार को अलग पहचान
दिलवाती है। गोविंद शर्मा ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। कार्यक्रम में गोविंद
शर्मा को शॉल ओढ़ाकर, श्रीफल और
पुस्तक भेंट करके उनका सम्मान किया गया। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. कृष्णकुमार ‘आशु’
ने संचालन करते हुए गोविंद शर्मा का परिचय दिया। कार्यक्रम में अनेक साहित्य
प्रेमी मौजूद थे।
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