श्रीगंगानगर। जाने माने श्रीकृष्ण
लीला जब से महावीर दल मंदिर के सर्वे सर्वा बने हैं, तब से उसका विकास तो बहुत अधिक हुआ है, लेकिन दशकों
पुरानी परंपरा समाप्त हो गई। यह परंपरा थी दिवाली के बाद स्नेह मिलन की। जिस प्रोग्राम
मेँ जिले के बड़े बड़े अफसर, जन प्रतिनिधि सहित अनेकानेक नागरिक, मीडिया कर्मी आ कर शहर के दुख सुख की चर्चा किया करते थे, वह समाप्त हो गया। बस, थोड़ा बहुत नाम मात्र के लोग आकर
मिल लेते थे। इस बार तो संयुक्त व्यापार मण्डल के साथ लेने से वह भी जाता रहा। स्नेह
मिलन के नाम पर दंभ का प्रदर्शन भर था। दोनों संस्थाओं के पदाधिकारी गेट के सामने कुर्सियों
पर विराजमान हो गए। बाकी लोग आते जाओ, पीछे लगी कुर्सियों पर
बैठते जाओ। कुछ कुर्सियाँ साइड मेँ थी। भीड़ के नाम पर पदाधिकारी और कुछ नागरिक थे।
उनकी संख्या भी इतनी थी कि अधिकांश कुर्सियाँ खाली थीं। समाचार लिखने के समय तक महावीर
दल मंदिर के अध्यक्ष नहीं आए थे। होना तो ये चाहिए था कि कुर्सियाँ आमने सामने लगी
होती। आमने सामने होते सब नागरिक। आज तो एक दूसरे के पीछे बैठने का सिस्टम था। वह भी
स्नेह मिलन कम दिखावा अधिक लग रहा था। बड़े लोगों का इंतजार हो रहा था। वैसे राम गोपाल
पांडुसरिया, सीताराम शेरेवाला, निर्मल बंसल, तरसेम गुप्ता, नरेश सेतिया, जय
किशन सिंगल, अशोक मुंजराल, निर्मल जैन आदि
व्यक्ति पहुंचे हुए थे।
No comments:
Post a Comment