Tuesday, October 21, 2008

बिकने से क्या बचेगा

---- चुटकी-----

बार बालाओं को
दिख जायें नोट,
नेताओं को नजर
आतें हो खूब वोट,
फ़िर बिकने से
क्या क्या बचेगा
इस बारे में तू
कुछ भी ना सोच।

----गोविन्द गोयल

5 comments:

seema gupta said...

फ़िर बिकने से
क्या क्या बचेगा
इस बारे में तू
कुछ भी ना सोच।
"
ya sach kha, sochne ko bacha bhee kya..??"

Regards

रंजना said...

sahi kaha......

Unknown said...

बाकई, नोटों और वोटों के लिए यह नेता सब कुछ बेच देंगे.

Udan Tashtari said...

नहीं सोचेँगे!!

shan said...

plz read
waqthai.blogspot.com