-----चुटकियाँ----
धर्मगुरु के सामने
पकवानों के ढेर
बाप तडफता रोटी को
समय का देखो फेर,
धर्म कर्म के नाम पर
दोनों हाथ लुटाए
दरवाजे पर खड़ा भिखारी
लेकिन भूखा जाए,
कोई कहे कर्मों का
फल है,कोई कहे तकदीर
राजा का बेटा राजा है
फ़कीर का बेटा फ़कीर,
चलती चक्की देखकर
अब रोता नहीं कबीर
दो पाटन के बीच में
अब केवल पिसे गरीब,
लंगर हमने लगा दिए
उसमे जीमे कई हजार
भूखे को रोटी नहीं
ये कैसा धर्माचार।
------गोविन्द गोयल
1 comment:
मुनिवर का संदेश है
गजब की बात बतायें...
समीरा बाबू पढ़ रहे
कैसे न टिपियायें....
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