श्रीगंगानगर के बहुत से पत्रकारों का आन्दोलन आज भी जारी रहा। पत्रकारों ने रोष मार्च निकला,भगत सिंह चौक पर सांकेतिक रास्ता रोका और कलेक्ट्रेट के सामने सभा की। सभी कुछ शान्ति पूर्वक निपट जाता मगर जिला कलेक्टर भवानी सिंह देथा की कार्यवाही ने पत्रकारों को जबरदस्ती करने पर मजबूर कर दिया। हालाँकि उनका कलेक्ट्रेट के अन्दर जाने का कोई कार्यक्रम नहीं था मगर पुलिस का भारी इंतजाम देखकर सब भड़क गए। उसके बाद तो पत्रकार पुलिस से जोर जबरदस्ती करके अन्दर चले गए। आज राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर के वे पत्रकार नहीं आए जो कल दूसरो को गाइड कर रहे थे।
दोनों अखबारों में पत्रकारों द्वारा कल किए गए प्रदर्शन की एक लाइन भी नहीं थी। कौनसी ख़बर छपेगी कौनसी नहीं ये अधिकार संपादक को है। किंतु जहाँ छोटी छोटी ख़बर को फोटो सहित प्रकाशित करने की मारा मारी रहती है वहां कलेक्ट्रेट के अन्दर बहुत से पत्रकारों के प्रदर्शन को जगह ना मिलना अचरज की बात तो है ही। एक घटना तो हुई,उसको किस प्रकार किस के पक्ष में किस के खिलाफ लिखना सम्पादक के विवेक पर है। अगर उनको लगा कि पत्रकार ग़लत हैं तो यह उस ख़बर के साथ लिखा जाना चाहिए था। पर बात तो ये कि "बाबा सबको निर्देश दे,बाबा को निर्देश कौन दे?"इस को ऐसे भी कहा जा सकता है कि समर्थ का कोई कसूर नहीं होता। और इतने बड़े बड़े अखबार के संपादकों से सवाल करके किसी ने मरना है क्या?।
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