आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
सत्य वचन मुनिवर ।
भरत अब पादुका नही सुपारी दे के बेठा हे रावण से नही मरातो लछमन के हाथो तरेगा ha ha ha very well said...Regards
सटीक प्रश्न, मुनिवर!!
अच्छा व्यंग्यएक सलाह दूं यदि आप अन्यथा न लेंनारद उपनाम बहुत ही अच्छा हैगोविंद नारद लिखा करेंशेष जैसी आपकी इच्छा
आज का रावण अलग सत्ता नहीं है. वह तो हम सब के अन्दर जिन्दा है. उसे अगर मारना तो अपने अन्दर झांकना होगा और उसे अपने अन्दर से बाहर निकालना होगा. बाहर निकलते ही वह मर जायेगा.
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सत्य वचन मुनिवर ।
भरत अब पादुका नही
सुपारी दे के बेठा हे
रावण से नही मरा
तो लछमन के हाथो तरेगा
ha ha ha very well said...
Regards
सटीक प्रश्न, मुनिवर!!
अच्छा व्यंग्य
एक सलाह दूं यदि आप अन्यथा न लें
नारद उपनाम बहुत ही अच्छा है
गोविंद नारद लिखा करें
शेष जैसी आपकी इच्छा
आज का रावण अलग सत्ता नहीं है. वह तो हम सब के अन्दर जिन्दा है. उसे अगर मारना तो अपने अन्दर झांकना होगा और उसे अपने अन्दर से बाहर निकालना होगा. बाहर निकलते ही वह मर जायेगा.
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