---- चुटकी----
राशन का बजट बढ़ गया
इन्कम वही पुरानी है,
अर्थशास्त्री फेल हो गया
घर घर यही कहानी है।
----
बेटा मांगे एक फुलझडी
तो आँख में आए पानी है
माँ के चेहरे को पढ़ पढ़ के
बच्ची हुई सयानी है।
----
माँ बेटी की चाहतें मर गई
देख रसोई का सन्नाटा,
नून तेल तो आ जाएगा
कहाँ से आएगा गोविन्द आटा।
----गोविन्द गोयल
4 comments:
अर्थ-व्यवस्था की अर्थी,
ले चले चार अर्थशास्त्री.
सुंदर | दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाये
अरे हमारे ईमान्दार अर्थशास्त्री तो अब हमारे प्राधान है , तो भी यह हा?? क्या होगा इस देश का, जहा कर्णधार ही इस देश को डुबो रहै है, आप ने छोटी सी कविता मै पुरा सार देदिया, बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
संवेदनशील रचनाऐं.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Post a Comment