Monday, December 7, 2015

महारानी ने गंगानगर पे लाल स्याही से मार दिया काटा


श्रीगंगानगर। मुख्यमंत्री ने श्रीगंगानगर के नाम पर लाल स्याही से काटा मार रखा है। ये कोई मज़ाक नहीं, सौ प्रतिशत सही बार है। इसकी वजह है बीजेपी नेताओं की आपसी गुटबंदी। एक दूसरे की चुगली की आदत। राजनीतिक हल्कों के सूत्र बताते हैं कि गंगानगर मेँ बीजेपी नेताओं के गई गुट हैं। हर गुट महारानी के दरबार मेँ दूसरे की चुगली करता है। साथ मेँ मांगता है कुर्सी, अपने लिए। दूसरे की चुगली कर अपने आप को बेहतर साबित करते हुए कुर्सी मांग लगातार हो रही है। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप मेँ। रोज रोज, हर बार की इस चुगलखोरी से महारानी गंगानगर के नाम से ही चिढ़ने लगी है। इसी कारण एक समान उन्होने गंगानगर पर लाल स्याही से काटा काटा  दिया। कोई कुछ करे, उनको कोई मतलब नहीं। यही वजह है कि अफसरशाही हावी हो चुकी है। चूंकि महारानी ने गंगानगर की तरफ से आँख बंद कर ली, इसलिए किसी नेता की उधर चलती नहीं है। अफसरों की मौज बनी है। सूत्र कहते हैं कि जो कुछ न दिनों इधर हो रहा है, उसकी जानकारी देने की हिम्मत भी किसी नेता की नहीं है। यहाँ तक कि मंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी और केंद्रीय मंत्री निहाल चंद की भी नहीं। संभव है गंगानगर की जनता को इस राज मेँ यही भोगना पड़े।

गौशाला रोड पर सब व्यापारिक संगठन खामोश हैं

श्रीगंगानगर। चेम्बर ऑफ कॉमर्स मेँ पद पाने के लिए मचे घमासान ने यह साबित कर दिया है कि व्यापारिक संगठनों को कारोबारियों की परेशानियों से कोई मतलब नहीं। शहर मेँ दो-दो संयुक्त व्यापार मण्डल हैं। दो ही चेम्बर ऑफ कॉमर्स हो गए। इनके पदाधिकारियों की बातों पर यकीन करें तो सभी मेँ कई सौ मेम्बर हैं। किन्तु किसी को बाजार की बेहतरी के लिए कोई फुरसत नहीं। अफसरों से विवाद हो तो सौ पंचायत करने पहुँच जाएंगे। होली- दिवाली कलक्टर सही दूसरे अफसरों के घरों मेँ धोक लगाएंगे। परंतु अपनी परेशानी के लिए कुछ नहीं करेंगे। लगभग एक माह से गौशाला रोड का बुरा हाल है। सीवरेज का पानी सड़क पर है।आना जाना तो मुश्किल है। कब्जे हट गए, लेकिन कोई नाली निर्माण नहीं। सड़क नहीं। बिजली, टेलीफोन के खंबे बीच मेँ। ऐसे मेँ कब्जों का हटना, ना हटना बराबर है। किन्तु कोई भी व्यापारिक संगठन आवाज नहीं उठा रहा। कोई लोहड़ी मनाने की तैयारी मेँ है तो किसी ने स्नेह मिलन कर राम राम कर ली। व्यापारिक संगठनों का मूल काम बाजार को देखना है। लेकिन इनके पदाधिकारी अफसरों की तरफ देखते रहते हैं। ऐसा लगता है जैसे शहर कलक्टर, पूनीया, वेद प्रकाश जोशी के अलावा कोई रहता ही नहीं।

 अफसरों और पार्षदों का गठजोड़ रचेगा नया इतिहास


श्रीगंगानगर। जिला प्रशासन  मेँ दो ही अधिकारी हैं आजकल। एक खुद कलक्टर  और दूसरे उनके लाडले आरएएस करतार सिंह पूनिया, जिनके पास नगर परिषद आयुक्त का भी चार्ज है। पूनिया के लाडले हैं दो पार्षद, संजय बिशनोई और लक्की दावड़ा। लक्की दावड़ा किस्मत से उप सभापति भी हैं। अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के इस गज़ब के गठजोड़ ने बड़ों बड़ों की नाक मेँ दम कर रखा है। संजय बिशनोई के दुश्मन है, राधेश्याम गंगानगर और लक्की दावड़ा के राजनीतिक दुश्मन है सभापति अजय चान्डक। हालांकि राधेश्याम गंगानगर के सामने संजय बिशनोई की कोई राजनीतिक औकात नहीं, लेकिन राधेश्याम किस वजह से खामोश हैं, कोई नहीं जानता। लक्की दावड़ा अभी नए हैं। राजनीति को समझते नहीं। कलक्टर और पूनिया इन दोनों का खूब इस्तेमाल करते हैं या ये पार्षद समझ से परे हैं। इसी चौकड़ी का कमाल है कि बिना किसी प्लानिंग के कब्जे हटाने के बाद लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। आतंक है आज प्रशासन का। ना जाने किस किस अदालत के आदेश फाइलों मेँ पड़े होंगे, लेकिन प्रशासन केवल कब्जे हटाने मेँ लगा है। शहर की जनता के बारे मेँ क्या लिखें! लक्कड़ मंडी मेँ अरबपति लोगों के कारोबार हैं, लेकिन उनके पास इतना समय नहीं कि वे एकजुट हो अपना विरोध कर सकें। ऐसे मरे हुए शहर मेँ प्रशासन और जन प्रतिनिधियों का गठजोड़ यही करेगा। वैसे कलक्टर के घर और ऑफिस के साथ साथ पूनिया जी के दफ्तर मेँ सीसीटीवी लग जाएँ तो पता लग जाएगा कि यह गठजोड़ कैसे क्या करता है। पर मुरदों को कोई लेना देना नहीं। 

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