श्रीगंगानगर। यह संयोग है या कुछ और कि जिस समय भारी मतों के अंतर से विधायक चुनीं गईं कामिनी
जिंदल अपने दो साल की उपलब्धि बताने के बावजूद शहर के हालात पर शर्मिंदगी महसूस कर
रहीं थीं, उसी समय पत्रकार गोविंद गोयल की बिटिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
को पत्र लिख शहर के हालात बता रही थी। हालांकि दोनों मेँ किसी प्रकार की तुलना नहीं
की जा सकती। एक तो इसलिए क्योंकि हर इंसान की अपनी पहचान है,
दूसरा कहाँ तो एक विधायक और कहाँ एक नागरिक। इससे भी आगे कामिनी जिंदल के पिता जाने
माने पूंजीपति और स्वाति के पिता के साधारण इंसान। मगर इतना कहना गलत नहीं होगा कि
ये सोच का विषय है। कामिनी ने विधायक होने
के बावजूद ऐसा कुछ नहीं किया जिससे पब्लिक को ये अहसास हो कि विधायक उनके साथ है, जबकि स्वाति के पीएम को केवल पत्र लिखने मात्र से पब्लिक ये कह रही है कि
चलो कोई तो है जिसने शर्मिंदगी जताने की बजाए पीएम को पीड़ा बताई। सवाल ये नहीं कि काम
होता है या नहीं, बात ये कि किसने समस्या के समाधान के लिए क्या
प्रयास किए। दोनों ने अपनी अपनी बात 8 दिसंबर को कही। कामिनी जिंदल को विधायक और बी
डी अग्रवाल की बेटी होने के कारण मीडिया मेँ
तवज्जो मिलनी ही थी, स्वाति को भी उसके कद के अनुरूप तवज्जो दी
मीडिया ने। फेसबुक पर भी दोनों की खबरों को लोग डाल रहे हैं। एक दूसरे को टैग कर रहे
हैं। लोग अपने अपने विचार लिख स्वाति का हौयला बढ़ा रहे हैं। कामिनी जिंदल के समर्थक
उसके पक्ष मेँ लिख रहे हैं। किन्तु इसमें कोई शक नहीं कि स्वाति गोयल ने एक साधारण
नागरिक होने के बावजूद शहर की पीड़ा को पीएम तक पहुंचाया है।
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