Saturday, August 4, 2012

सम्मान का यह ढंग तो गरिमामय नहीं हो सकता


 श्रीगंगानगर-वर्तमान समय ने कुछ सौ रुपए के शॉल और कुछ सौ रुपए के ही स्मृति चिन्ह को बहुत बड़े सम्मान का पर्याय बना दिया गया है। यह शुरू तो किया था क्लब संस्कृति ने ...अब इसे अपना लिया सभी ने। सम्मान भी इस प्रकार से करते हैं जैसे मजबूरी हो या चापलूसी करना जरूरी हो। सम्मान की अपनी गरिमा है। किसी का सम्मान, सम्मान जनक तरीके से गरिमामय माहौल में होना चाहिए ना कि केवल दिखावे के लिए। अब देखो, कुछ संस्थाएं सेठ बी डी अग्रवाल का सम्मान करेंगी। सम्मान भी कहां करेंगी जहां बी डी अग्रवाल करोड़ों रुपए के छात्रवृति देंगे। समारोह बी डी अग्रवाल का और सम्मानित करेंगे वे लोग व्यक्ति जो उन्हीं की समिति के हिस्से या पधाधिकारी हैं। । एक है मंदिर समिति। दूसरा सम्मान करेगी स्वर्णआभा विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति,तीसरा सम्मान होगा बाला जी अन्नपूर्णा समिति की ओर से। और इन सबके बीच शिक्षा जगत में इस क्षेत्र की बहुत बड़ी संस्था टान्टिया हायर एज्यूकेशन इंस्टीट्यूट कैंपस की ओर से बी डी अग्रवाल को शॉल ओढ़ाया जाएगा। भीड़ बी डी की। समारोह बी डी का। खर्चा बी डी का। और उसी में सम्मान उस बी डी अग्रवाल का जो करोड़ों रुपया लोगों की शिक्षा पर खर्च कर रहा है। उस बी डी का जिसने करोड़ों रुपए के बीज किसानों को इस लिए बांट दिये ताकि किसान कर्ज मुक्त हो सके। उस बी डी अग्रवाल को जो कई अरब रुपए से मेडिकल कॉलेज खोलना चाहते हैं। उनके प्रोग्राम में उनको स्मृति चिन्ह देकर,शॉल ओढ़ाकर सम्मान। यह सम्मान करने का कोई सम्मान जनक और गरिमापूर्ण ढंग नहीं है। यह बी डी अग्रवाल का सम्मान नहीं....सम्मान तो तब हो जब ये संस्थाएं अपने यहां प्रोग्राम करें। ऐसा प्रोग्राम जिसमें हर जाति,धर्म,वर्ग,राजनीति,प्रशासन के खास व्यक्ति हों। आम जनता हो। वहां बी डी अग्रवाल की सेवाओं की जानकारी देकर संस्थाओं को उनके सम्मान के लिए प्रेरित क्या जाए। और उसके बाद बड़े आदर,विनम्रता,सरलता के साथ फूलों की,तुलसी की,चन्दन की माला भी पहना दी  जाए तो वह होगा असली सम्मान। सम्मान कोई मंहगा समान देने से नहीं होता। सम्मान तो गरिमा चाहता है। सम्मान की भी और जिसका सम्मान हो रहा है उसकी भी। फिर बी डी अग्रवाल का सम्मान तो वह करे जो बी डी अग्रवाल से बड़ा हो...सोच में। दानवीरता में। लोगों की भलाई करने में  । समाज हित की सोच रखने में। किसी का  घर जाकर सम्मान तो तब किया जाता है जब वह कहीं जाने में असमर्थ हो....बी डी अग्रवाल तो देश दुनिया घूमते हैं। उनका सम्मान तो एक भव्य समारोह में हो तभी बात हो....वरना तो वह सम्मान बी डी अग्रवाल के लिए तो नहीं। हां उनके खुद के लिए जरूर हो जाएगा।

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