Sunday, March 28, 2010
नर्सिंग होम में हंगामा
श्रीगंगानगर के आदर्श नर्सिंग होम में इलाज के दौरान एक महिला की मौत के बाद उसके परिजनों ने नर्सिंग होम के अन्दर बाहर धरना देकर एक सामान उस पर अपना कब्ज़ा कार लिया। एक दिन एक रात के बाद पुलिस भारी सुरक्षा में डॉक्टर प्रवीण गुप्ता को अपने साथ ले गई। उसके बाद परिजन महिला की लाश भी ले गए। नर्सिंग होम के आस पास जबरदस्त तनाव रहा। इसको देखते हुए पुलिस के सभी अफसर मौके पर रहे।
लेबल:
नुर्सिंग होम में हंगामा
Saturday, March 27, 2010
कुत्ता उड़ाए माल
----चुटकी----
नौकर खाए
सूखी रोटियां
कुत्ता उड़ाए माल,
एक ही घर में
रहते दोनों,
कौन, किस से
करे सवाल।
नौकर खाए
सूखी रोटियां
कुत्ता उड़ाए माल,
एक ही घर में
रहते दोनों,
कौन, किस से
करे सवाल।
Friday, March 26, 2010
Thursday, March 25, 2010
Tuesday, March 23, 2010
तेरे जैसा देश भक्त

कोई हुआ ना होगा मतवाला,
भारत मां की रक्षा हेतु
अपना जीवन डे डाला।
आज हम अपने परिवार के साथ भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को प्रणाम करते हैं। उनकी वीरता के कारण भारत आजाद हुआ। अब वर्तमान में भारत नेताओं से डर रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि वे अपने स्वार्थ के लिए इस देश को अपना या अपने किसी पार्टनर का गुलाम ना बना लें। इस बार कोई देश को मुक्त करने भी नहीं आने वाला।
लेबल:
तेरे जैसा देश भक्त
Sunday, March 14, 2010
मंदिर मंदिर धोक खाता रहा
बेवफा बता
बद दुआ
देता है वो,
और मैं
उसके लिए
मंदिर मंदिर
धोक खाता रहा।
-----
बिन बुलाये
वक्त बेवक्त
चला आता था,
अब तो
मुड़कर भी ना देखा
मैं आवाज लगाता रहा।
----
एक सुरूर था
दिलो दिमाग पर
अपना है वो,
देखा जो
गैर के संग
तो नशा उतर गया।
बद दुआ
देता है वो,
और मैं
उसके लिए
मंदिर मंदिर
धोक खाता रहा।
-----
बिन बुलाये
वक्त बेवक्त
चला आता था,
अब तो
मुड़कर भी ना देखा
मैं आवाज लगाता रहा।
----
एक सुरूर था
दिलो दिमाग पर
अपना है वो,
देखा जो
गैर के संग
तो नशा उतर गया।
लेबल:
मंदिर मंदिर धोक खाता रहा
Friday, March 12, 2010
बात तो कुछ भी ना थी
-----
बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
-----
मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
-----
मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
लेबल:
बात तो कुछ भी ना थी
Subscribe to:
Posts (Atom)