Sunday, September 27, 2009
मासूम उमर, पथरीली डगर
मासूम उमर की जो लड़की चुनरी की छाँव में जा रही है। आम तौर पर इस प्रकार से लड़की को शादी के मंडप में ले जाया जाता है। दुल्हन के परिधान में यह लड़की जा तो मंडप में रही है लेकिन यह मंडप उसे भोग के रास्ते पर नहीं त्याग के रास्ते पर ले जाने वाला है। भौतिक सुख सुविधाओं का त्याग। स्वाद का त्याग, आराम का त्याग। इस लड़की का नाम है नेहा जैन। १८ साल की नेहा नेढाई साल पहले सन्यास लेने का निर्णय कर लिया था। एक संपन्न परिवार की नेहा को उसके परिजनों ने समझाया लेकिन उसने अपना निर्णय नहीं बदला। आज उसके परिवार ने उसको अपनी स्वीकृति दे दी। इस मौके पर नेहा का नागरिक अभिनन्दन किया गया। उसके पिता मनोज जैन,माता स्वीटी जैन ने उसको आशीर्वाद दिया। अब नेहा अपनी गुरु के पास रहेगी। इसकी विधिवत दीक्षा ६ दिसम्बर को दिल्ली में होगी। अभिनन्दन समारोह का माहौल बहुत ही भावुक था। नेहा चार भाई बहिनों में सबसे बड़ी है।
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2 comments:
कल आपके नाम किसी और को मैंने कमेंट कर दिया आज अपना नाम उमर देख वह भी मासूम उमर सोचा मैं ही हूंगा, आज फिर में गलती पर था, यहां तो यह बात मिली कि आप की जगह मैं होता तो नारायण नारायण कहता, 6 दिसम्बर बहुत शुभ तारीख रखी गयी है, कुछ इलाकों में उस दिन बंद मिलेगा,
गलत निर्णय चार भाई बहनों में बडी बहन नेहा और उसके परिवार का ,दुःख होता हे गुरुओं के ज्ञान पर १८ साल की उम्र को त्याग का पाठ पडाने वालों पर कलयुग में कोन त्यागी कह सकता हे , ऐसी बालिका को जिसने गुरु समान माता स्वीटी जैन और पिता मनोज जैन की आज्ञा का पालन नही किया उस की जिद के आगे हारे मात-पिता और क्या करते |क्या कहें उस गुरु को जो दीक्षा दें गे ६ दिसम्बर को | जिसने नजरअंदाज की उम्र बालिका की और नही दी दीक्षा ग्रहस्थ जीवन की ना समझे ना समझाया आयु अनुसार जीवन के आश्रम को
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