Tuesday, September 22, 2009

दिल में उतर जाने की कला


आपको हर दिल में
समा जाने की
कला आती है,
हमको आपकी
यही अदा
खूब भाती है।

10 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

और यही अदा हर दिल को लुभाती है...
बढ़िया प्रस्तुति....

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ghana gahara sai, yo kala bhi ghani achchhi sai, badhai

निर्मला कपिला said...

नाराअण नारायण तो आपने क्यों नहीं सीखी ये कला?

Mishra Pankaj said...

नारायण नारायण अब ऐसी कला का नारद जी को क्या काम :)
अच्छा लिखा है आपने

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हमें भी आपकी ये चुटकिया खूब भाती है ! नारायण-नारायण !!!

Unknown said...

aapki isi ada par to ham maraten hai...

Vipin Behari Goyal said...

कला तो कद्रदानों की मोहताज है

हेमन्त कुमार said...

बड़े होशियार हैं आप ।
आभार ।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

to nirmla kapila ji ke liye.
kisi ne kaha hai-"zindgi beet gai to jene ka dhang aaya" yah baat mujh par lagu hai.--govind goyal

स्वप्न मञ्जूषा said...

नारद जी को अगर अदाएं भाएँगी
तो उर्वशी-रम्भा भाग जायेंगी..
हा हा हा हा