Sunday, June 7, 2009

कोई जवाब है क्या

मां तो मां है !

एक बार बरसात में भीगा हुआ मैं घर पहुँचा।
भाई बोला, छाता नहीं ले जा सकता था।
बहिन ने कहा, मुर्ख बरसात के रुकने तक इन्तजार कर लेता।
पापा चिल्लाये, बीमार पड़ गया तो भागना डॉक्टर के पास। सुनता ही नहीं।
मां अपने आँचल से मेरे बाल सुखाते हुए कहने लगी, बेवकूफ बरसात, मेरे बेटे के घर आने तक रुक नहीं सकती थी।
क्यों है कोई जवाब। यह सब मेरे एक शुभचिंतक ने मुझे मेल किया है। उनका दिल से धन्यवाद।

12 comments:

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

नारायण नारायण निरुत्तर हूँ कोई जबाब नहीं
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत ही सुंदर ,यह केवल माँ ही कह सकती है .

राजन अग्रवाल said...

माँ की ममता का कोई मोल नहीं. उसके हाथ होता तो बारिश रोक भी देती, करे क्या मजबूर है. इसलिए तो माँ है.

राज भाटिय़ा said...

मां तभी तो महान है.
राम राम जी की

Bhawna Kukreti said...

maa ki jaan basi hoti hai bachhon me . maa ka rin kabhi nahin tara jaa sakta aur naa hi maa ke sneh ka koi uttar haota hai .

संजय बेंगाणी said...

माँ.....

kaustubh said...

वाकई मां तो मां ही होती है । दुनिया आपको बाहर से रखती है, मां की दृष्टि सीधे आपके अंतस से जुड़ होती है तभी तो कह दिया फट से कम्बख्त बारिश रुक नहीं सकती थी । दिल को छू लेने वाली पंक्तियां । बधाई ।
कोलाहल से कौस्तुभ

Renu said...

bahut hi sunder:)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

नारद जी, क्या कहूँ इसके बारे में ! इसे कहते है सोच ! भले ही बाप, भाई, बहन सब अपनी जगह ठीक हो और है भी, लेकिन माँ अपनी जगह ठीक ना होते हुए भी कितनी ठीक है, आप और हम बस परिकल्पना ही कर सकते है! नारद जी, कितने खुशनसीब होते होंगे न वो बच्चे जिनको ऐसी माए मिलती है ! !!!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

नारद जी, क्या कहूँ इसके बारे में ! इसे कहते है सोच ! भले ही बाप, भाई, बहन सब अपनी जगह ठीक हो और है भी, लेकिन माँ अपनी जगह ठीक ना होते हुए भी कितनी ठीक है, आप और हम बस परिकल्पना ही कर सकते है! नारद जी, कितने खुशनसीब होते होंगे न वो बच्चे जिनको ऐसी माए मिलती है ! !!!!

Unknown said...

गोविन्द जी, दुनिया में सबसे बेहतर रिश्ता है "माँ" का. दुनिया की तमाम गलतियाँ करने के बावजूद एक माँ अपने बच्चे को अपने आँचल में बड़े प्यार से समेट लेती है, जैसे उसने कुछ किया ही न हो....."पुत्र कुपुत्र हो जाता है लेकिन माता कुमाता नहीं होती". माँ के इस स्वरुप की याद को ताज़ा करने के लिए आपको साधुवाद.

Unknown said...

गोविन्द जी, दुनिया में सबसे बेहतर रिश्ता है "माँ" का. दुनिया की तमाम गलतियाँ करने के बावजूद एक माँ अपने बच्चे को अपने आँचल में बड़े प्यार से समेट लेती है, जैसे उसने कुछ किया ही न हो....."पुत्र कुपुत्र हो जाता है लेकिन माता कुमाता नहीं होती". माँ के इस स्वरुप की याद को ताज़ा करने के लिए आपको साधुवाद.