tag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post648933615028851441..comments2023-10-18T20:43:22.959+05:30Comments on Govind Goyal, journalist : यस, कमेंट्स प्लीज़गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर http://www.blogger.com/profile/04254827710630281167noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-54274484100387425572009-06-26T11:47:47.680+05:302009-06-26T11:47:47.680+05:30bahut badia lekh......
narayan..........narayan......bahut badia lekh......<br />narayan..........narayan...cartoonist anuraghttps://www.blogger.com/profile/11404227634579434765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-57145648117678381632009-06-26T06:43:35.207+05:302009-06-26T06:43:35.207+05:30बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-36969238572561603812009-06-25T22:28:00.587+05:302009-06-25T22:28:00.587+05:30aise vichar kyon aa rhe hain .aise vichar kyon aa rhe hain .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-16144846734801527712009-06-25T19:23:42.460+05:302009-06-25T19:23:42.460+05:30अब तो सब तरफ़ चोर चोर ही है, साधू ओर शारीफ़ लोग एक त...अब तो सब तरफ़ चोर चोर ही है, साधू ओर शारीफ़ लोग एक तरफ़ बेठे देश की किसमत को देख रहे है, ओर सोच रहे है क्या आजादी इस दिन की खातिर ली थी, नेता बेशर्मो की तरह से अपने गंदे दांत दिखा कर अपने गंदे मुंह की बदबु से सारा वातावरन खराब कर रहे है, जिन्हे ना इज्जत की चिंता है, ना देश की.<br />ओर अब कोई ऎसी महा मारी आये जिस से सब हराम का खाने वाले मरे, ओर कोई रास्ता नही...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-71099681360552850332009-06-25T10:36:01.663+05:302009-06-25T10:36:01.663+05:30आपात काल में भी नेता लोग अपना स्वार्थ ही साधते है।...आपात काल में भी नेता लोग अपना स्वार्थ ही साधते है।आम लोगों को इस का ज्यादा फायदा नही होता।लेकिन देश में अनुशासन तभी हो सकता है जब पहले नेता ईमानदा्री से अपना कार्य करें।।<br />गुप्ताजी की बात सही है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-78348193967205584192009-06-25T10:34:01.168+05:302009-06-25T10:34:01.168+05:30This comment has been removed by the author.परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-23593201748884024202009-06-25T08:59:26.718+05:302009-06-25T08:59:26.718+05:30आपातकाल को मैंने बहुत नजदीक से देखा है, उसे अनुभूत...आपातकाल को मैंने बहुत नजदीक से देखा है, उसे अनुभूत किया है। अनुशासन यदि तानाशाही से होकर निकलता हो तब मनुष्य का गुलाम बनना तय है, लेकिन यदि अनुशासन कार्यपद्धति से निकलता हो तो उसका स्वागत करना चाहिए। राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों को जेलों में ढूंसना और चोर उचक्कों को खुली छूट देना अनुशासन पर्व नहीं है। उन दिनों में रेले भी इतनी तो पाबन्द नहीं थी हाँ सुधार अवश्य हुआ था। क्योंकि आम आदमी डरा हुआ था। इस हिटलरी दिवस को यह देश हमेशा याद रखेगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-58557233552196755012009-06-25T08:43:08.868+05:302009-06-25T08:43:08.868+05:30ऐसा क्यूँ भई?ऐसा क्यूँ भई?Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-17186997588719631252009-06-25T08:09:20.583+05:302009-06-25T08:09:20.583+05:30हमारी सहमति नहीं है जी आपातकाल से !हमारी सहमति नहीं है जी आपातकाल से !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-16500961919648963782009-06-25T08:09:20.365+05:302009-06-25T08:09:20.365+05:30हमारी सहमति नहीं है जी आपातकाल से !हमारी सहमति नहीं है जी आपातकाल से !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-38463714520437177352009-06-25T07:37:18.221+05:302009-06-25T07:37:18.221+05:30विनोबा भावे ने आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' क...विनोबा भावे ने आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' की संज्ञा दी थी।<br />आलोचनाएं तो बहुत हुई थीं। हम तो उस समय नान्हें से थे लिहाजा कुछ कह नहीं सकते लेकिन आज देश को 'अनुशासन पर्व' की आवश्यकता है। <br />उसके रूप पर बहस हो सकती है लेकिन जरूरत तो है और तत्काल है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-14460395843060630562009-06-25T07:26:32.482+05:302009-06-25T07:26:32.482+05:30हमारे देश के लोगों को अनुशासन में डंडे के जोर पर ह...हमारे देश के लोगों को अनुशासन में डंडे के जोर पर ही चलाया जा सकता है इसलिए यहाँ आपातकाल के बारे में सोचना कोई बुरी बात नहीं | पर आपातकाल लगाने वाले दल या सरकार की नियत अपना निरंकुश शासन थोपने की बजाय देश हित सर्वोपरि होना चाहिए |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.com