tag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post4613692194233271171..comments2023-10-18T20:43:22.959+05:30Comments on Govind Goyal, journalist : शर्मसार हुई पत्रकारिता,नेता बने जरनैल सिंहगोविंद गोयल, श्रीगंगानगर http://www.blogger.com/profile/04254827710630281167noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-56144667487290343732009-04-08T13:49:00.000+05:302009-04-08T13:49:00.000+05:30aapki is post ko ratlam, Jhabua(M.P.), dahood(Guja...aapki is post ko ratlam, Jhabua(M.P.), dahood(Gujarat) se Prakashit Danik Prasaran me prakashit karane ja rahan hoon. <BR/><BR/>kripaya, aap apan postal addres send karen, taki aapko ek prati pahoonchayi ja saken. <BR/><BR/>pan_vya@yahoo.co.inAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03051216183260665359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-52058604680587901712009-04-07T17:01:00.000+05:302009-04-07T17:01:00.000+05:30पत्रकारिता के जिन गुणों की चर्चा आपने इस आलेख में ...पत्रकारिता के जिन गुणों की चर्चा आपने इस आलेख में की है वो तो कब के बाज़ारवाद की भॆंट चढ़ चुके हैं । आज कितने पत्रकार है जो ईमानदारी से ये दावा कर सकते हैं कि वे ज़िम्मेदारी से अपने कर्त्तव्य को अंजाम दे रहे हैं । नेताओं के टुकड़ों पर पलने वालों ने बहुत पहले ही इस मिशन से पीछा छुड़ा लिया है । अब तो खुद ही शान से कहते हैं कि पत्रकारिता मिशन नहीं प्रोफ़ेशन है और प्रोफ़ेशन से बढ़कर अब तो व्यवसाय है , बल्कि मैं तो कहूँगी की बिकाऊ पत्रकारों ने इसे "धँधा" बना दिया है । आपकी ये बातें कोरी बकवास जान पड़ती हैं और ईमानदार पत्रकारों की नस्ल लुप्तप्राय हो चुकी है । ऎसे में आपकी ऎसी टिप्पणियाँ शोभा नहीं देतीं । दाग तो तब लगेंगे जब बेदाग हों ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-82377567358998146222009-04-07T16:39:00.000+05:302009-04-07T16:39:00.000+05:30सिर्फ़ कल्पना करें, कि यदि चिदम्बरम की जगह नरेन्द्र...सिर्फ़ कल्पना करें, कि यदि चिदम्बरम की जगह नरेन्द्र मोदी होते, क्या तब भी इस दोगले मीडिया और कथित प्रगतिशीलों(?) का रवैया यही होता?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-61806739183625184252009-04-07T16:29:00.000+05:302009-04-07T16:29:00.000+05:30(१) ये हीरोगिरी जरनैल सिंह ने नेताओं से ही सीखी है...(१) ये हीरोगिरी जरनैल सिंह ने नेताओं से ही सीखी है.<BR/>(२) अगर तथाकथित कई पत्रकार, नेताओं और बाबुओं से फायदे उठाने में गुरेज़ नहीं करते तो, यूं जूते फेंकने से परहेज़ क्योंकर करें.vनैतिकता सार्वभौमिक नहीं है, कम से के आज की पत्रकारिता के दौर में तो नहीं ही है.<BR/>(३) ]<BR/>(अ) २५ साल तक न्याय की बाट जोह के भी कुछ न पाना और <BR/>(बी) फिर भी चुप रहना....<BR/>(स) केवल कलम घसीटना काफी है ?<BR/>(४) पत्रकार के भीतर का इंसान मर नहीं सकता वह तो अन्याय के विरुद्ध और भी प्रखर होता है.<BR/>(५) नैराश्य की यूं अभिव्यक्ति पत्रकार के लिए भले ही अशोभनीय है लेकिन, क्या न्याय व्यवस्था के लिए यूं रेंगना शोभनीय है ?<BR/>(६) पत्रकार इतना भी शक्तिशाली नहीं कि यूं उद्विग्न न हो, आखिर उसके भीतर का दुखी इंसान तक प्रतीक्षा और करे ? ... एक चौथाई सदी, मेरे विचार से यह समय बहुत होता है.<BR/>(७) जूता फेंकना...केवल एक पत्रकार पर ही लांछन नहीं है, ये इन्हीं नेताओं द्बारा न बदली जाने वाली न्याय- व्यवस्था के प्रति भी विरोध है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-46957945090726515822009-04-07T15:29:00.000+05:302009-04-07T15:29:00.000+05:30एक बधाई पत्र पर हम भी भेज देते हैं,एक बधाई पत्र पर हम भी भेज देते हैं,संजय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/12255878761091728878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-43715193011229951032009-04-07T15:28:00.000+05:302009-04-07T15:28:00.000+05:30उन्होंने अपनी पोजीशन का नाजायज फायदा उठाया और इस प...उन्होंने अपनी पोजीशन का नाजायज फायदा उठाया और इस प्रकार की हरकत की।अक्षत विचारhttps://www.blogger.com/profile/16381420919782121467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-4112142056185446102009-04-07T15:03:00.000+05:302009-04-07T15:03:00.000+05:30मीडिया और निष्पक्ष,संयमी और गरिमा युक्त ? किस जहा ...मीडिया और निष्पक्ष,संयमी और गरिमा युक्त ? किस जहा के वासी है जनाब ? मिडिया चापलूसी और चमचा गिरि मे लथपथ आप केवल एक लिजलिजा सा जीव रह गया है . मिडिया आज दो पैग पर बिकाऊ चीज है sac hameshaa कडुआ होता है साहेब बुरा मत मानियेगा .मै उन दो चार की बात यहा नही कर रहा जो आज भी पुरातनपंथी और दकियानूसी बन कर अपनॊ निष्पक्ष,संयमी और गरिमा वाली छवी की लाश ढो रहे हैArun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5480942758752763664.post-75429212899744912052009-04-07T14:53:00.000+05:302009-04-07T14:53:00.000+05:30इस बधाई पत्र पर हम भी दस्तखत करते हैं जी।इस बधाई पत्र पर हम भी दस्तखत करते हैं जी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com