Saturday, November 30, 2013

इस 'हाथ' को कोई नहीं रोक सकता जनाब!


श्रीगंगानगर। 'हाथ' में लाठी लेकर बुजुर्ग मतदाता वोट डालने आयेगा। 'हाथ' में ही कानून का  डंडा ले पुलिस वाला पोलिंग बूथ पर कानून की  पालना करवायेगा। 'हाथ' में 'हाथ' डाल युवा मतदाता इतराते हुए पहली बार पोलिंग बूथ आयेंगे। पोता-पोती दादा-दादी का  'हाथ' पकड़ कर उन्हें वोट डलवाने के लिए लायेंगे। मतदाताओं के 'हाथ' में पर्ची होगी। 'हाथ' से 'हाथ' मिलाए जाएंगे। पोलिंग कर्मचारी अपने 'हाथ' से मतदाता के  'हाथ' की अंगुली पर स्याही लगाएंगे । अधिकारी 'हाथ' से ही जरूरी लिखा-पढ़ी करेगा। वोटर अपने 'हाथ' की किसी  अंगुली से अपना मनपसंद बटन दबाएंगे ।अधिकारी 'हाथ' के  इशारे से भीड़ को  लाइन में लगने के  लिए कहेगा। 'हाथ' के  इशारे से ही किसी को  बुलाएगा , बाहर भेजेगा। ईवीएम में कोई  झंझट होगा तो उसे ''हाथ' ही ठीक  करेगा। पोलिंग बूथ पर शाम को अंधेरा होने पर 'हाथ' ही बिजली का बटन दबायेगा । उडऩदस्ते 'हाथ' हिला-हिला कर भीड़ को  नियंत्रित करेंगे। प्रत्याशी व उसके  समर्थक  'हाथ' जोड़ते हुए पोलिंग बूथ पर आयेंगे,जाएंगे । 'हाथ' जोड़कर लोग एक-दूसरे को नमस्कार करेंगे । पोलिंग बूथ पर ही 'हाथ' से कोई बुजुर्ग उस समय किसी  को  आशीर्वाद देता हुआ दिख जायेगा , जब कोई  उन्हें प्रणाम करेगा। लड़ाई कहीं  हुई तो मारपीट 'हाथ' से होगी। बचाव भी 'हाथ' से किया जायेगा.। पुलिस किसी  को  पकड़ेगी तो भी 'हाथ' से । पोलिंग बूथ के  अंदर-बाहर जिधर भी देखों 'हाथ' ही 'हाथ' दिखाई देगा। यही 'हाथ' एक बड़ी पार्टी का  चुनाव निशान है। जबकि चुनाव आयोग कहता है कि  मतदाता स्लिप वितरण करने वाले स्थल या पोलिंग स्टेशन के   200 मीटर की  परिधि में चुनाव चिन्ह या उसका कोई  प्रतीक  चिन्ह नहीं ले जाया जा सकता। तो चुनाव आयोग का यह कानून इस 'हाथ' को कैसे रोकेगा। हर मतदाता दो-दो 'हाथ' लेकर पोलिंग बूथ  आएगा । चुनाव कार्य  से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी किसी प्रत्याशी की  तरफदारी नहीं कर सकते , मगर 'हाथ' के  सामने वे भी बेबस हैं।'हाथ' के  साथ ड्यूटी करना उनकी  मजबूरी है। कोई  अपना हाथ कहां  छोड़कर आवे। हाथ छोड़कर आवें तो फिर सब के सब हथ कटे । बुजुर्ग की  लाठी पकडऩे वाला हाथ नहीं। सिपाही के  पास कानून का  डंडा पकडऩे वाला हाथ नहीं। चलो मतदाता तो पर्ची मुंह से पकड़ कर ले आएगा लेकिन बाकी ऐसे  कितने ही काम  हैं जो पोलिंग बूथ पर 'हाथ' बिना संभव नहीं। और कानून कहता है चूँकि  हाथ पार्टी का  चुनाव निशान है इसलिए उसे ले जाया नहीं जा सकता। कई बार किसी कानून की  पालना करवाना प्रैक्टिकली संभव नहीं होता। यहां भी ऐसा ही है।'हाथ' कोई हाथी, कमल, बैट, सिलाई मशीन, सिलेंडर तो है नहीं जिनको  ऑब्जर्वर रोक  देंगे। पुलिस पकड़ लेगी। लेकिन इस  'हाथ' का  क्या करोगे जो कांग्रेस का  चुनाव निशान है। आज तक  इस 'हाथ' को  पोलिंग बूथ तक  पहुंचने से कोई नहीं रोक  पाया। ऐसी कोई  जानकारी नहीं है कि किसी ने चुनाव आयोग या स्थानीय निर्वाचन अधिकारी के समक्ष इस बारे में कोई  शिकायत  या आपत्ति की  हो। सालों साल से यह 'हाथ' चुनाव आयोग के  कानून को  इसी 'हाथ' से ठेंगा दिखा रहा है। किसी  ने कोई आपत्ति नहीं की  तो भविष्य में भी दिखाता ही रहेगा।

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