Wednesday, April 29, 2009
सोनिया--हेमा गर्मी में मत आना
सोनिया-हेमा जी आप इस देश की महान नेता हैं। आप जनता की परेशानियों को दूर करने के बड़े बड़े वादे करती हो। इस लिए आप जनता की शुभचिंतक हो। उम्मीद है आप दोनों जनता की परेशानी को समझते हुए श्रीगंगानगर नहीं आयेंगीं। क्योंकि आपकी सभा दोपहर को है ऐसे में लोगों का क्या हाल होगा। भयंकर गर्मी में किसी को कुछ चक्कर-वक्कर आ गया तो आपका और आपकी पार्टी का नाम बदनाम होगा। इसलिए अच्छा है आप ४५ डिग्री तापमान के चलते श्रीगंगानगर का दौरा रद्द कर दें। चुनाव तो हर साल आतें हैं, फ़िर कभी आ जाना।ठीक है।
Monday, April 27, 2009
जरनैल सिंह को ढेर सारे थैंक्स
Sunday, April 26, 2009
दिल की बात आलू के बहाने
Thursday, April 23, 2009
जंगल में हो रहें हैं चुनाव
शेर ने हिरण को पुचकारा
भेड़िये देख रहें हैं
राजा बनने के ख्वाब,
हे दोस्त, जंगल में
कैसे आया इतना बड़ा बदलाव।
लोमड़ी मेमने को गले लगाती है
बिल्ली चूहे के साथ नजर आती है
सूअर बकरी के साथ
घास खा रहा है जनाब,
हे दोस्त ,जंगल में
कैसे आया इतना बड़ा बदलाव।
सुनो भाई,इन जानवरों में
अब भी वैसा ही मरोड़ है
जो दिख रहा है वह तो
कुर्सी के लिए गठजोड़ है,
नकली है इनका भाई चारा
बस क्षणिक है ये बदलाव
सच तो ये है दोस्त
जंगल में हो रहें हैं चुनाव।
Tuesday, April 21, 2009
किराये पर कार्यकर्त्ता, ऑफिस शुरू
Monday, April 20, 2009
नेता की औलाद है तू
ना हिंदू बनेगा
ना तू
मुसलमान बनेगा,
नेता की औलाद है
तू नेता बनेगा।
ना जन की सुनेगा
ना गण की सुनेगा,
जिस से मिलेगा फायदा
तू उस मन की सुनेगा।
Sunday, April 19, 2009
महंगाई है महंगाई
एक फ़िल्म और थी, गोपी। उसका गाना था....रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना तुनका कौव्वा मोती खायेगा। इसी गाने में कहा गया था.....चोर उच्चके नगर सेठ और प्रभु भगत निर्धन होंगें,जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जाएगा.....
क्या कमाल की बात है कि जो आज हो रहा है वह हमारे गीतकारों ने उसकी कल्पना सालों पहले ही कर ली थी। उक्त गानों के ये बोल हमारे आज के जीवन में पूरी तरह से फिट है। वैसे इन बातों को ऐसे भी कह सकतें हैं कि घोडों को घास नहीं मिलती और गधे गुलाबजामुन खा रहे हैं।
Saturday, April 18, 2009
देख तमाशा जूते का
ऐसा तो नहीं होता था
Thursday, April 16, 2009
सांई बाबा का चमत्कार, रोटी
Wednesday, April 15, 2009
पुलिस ने मचाया ग़दर
Monday, April 13, 2009
खो गया आम आदमी
Saturday, April 11, 2009
धर्मनिरपेक्ष राजनीति की सच्चाई
हिन्दुओं को
जितनी अधिक गालियाँ,
आपकी झोली में
उतनी अधिक तालियाँ,
दूसरों को पुचकारो
करो लाड-प्यार,
आपके गले में होंगे
ढेर सारे
फूलों के हार,
यहाँ जो बात
हमने आपको बताई है,
यह कोई
मजाक नहीं
धर्मनिरपेक्ष भारतीय
राजनीति की सच्चाई है।
Friday, April 10, 2009
जूता फेंका हुआ बवाल
जूता फेंका
हुआ बवाल
सज्जन,टाईटलर गए
अपने घर जी,
इसी को
कहतें हैं डेमोक्रेसी
व्हाट एन
आइडिया सर जी।
Thursday, April 9, 2009
Wednesday, April 8, 2009
सिख समाज ने लड्डू बांटे
भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम पर जूता फेंकने वाले जरनैल सिंह के समर्थन में सिख समाज आगे आने लगा है। श्रीगंगानगर में इस समाज के अनेक व्यक्तियों ने गाँधी चौक पर लड्डू बांटे। "उन्होंने कहा, इस देश में सिखों के लिए इंसाफ ना मुमकिन है। सिख इस देश की अदालतों से भी नाउम्मीद हो गए हैं। ...........जमीर की आवाज पर सिख जो भी फैसला लेंगे विश्व जनमत उसकी अनदेखी नहीं कर पायेगा।" आगामी रणनीति तय करने के लिए सिख समाज की १२ अप्रैल को बैठक होगी। शाम को सोनिया गाँधी,जगदीश टाईटलर, सज्जन कुमार के पुतले जलाये जायेंगें। यहाँ की सिख संगत ने जरनैल सिंह को इक्यावन हजार रूपये का ईनाम देने का ऐलान किया है। इन सबके बीच यह सवाल जरुर जहाँ में आता है कि जरनैल सिंह के स्थान पर कोई गोविन्द,मोहन,राम लाल,लालू राम, छैला मल.........जैसा कोई आम आदमी होता तो क्या गृह मंत्री उसको माफ़ कर देते? चलो माफ़ करना और माफ़ी मांगना तो बडापन है, मगर क्या पुलिस और खुफिया विभाग उसको आधे घंटे में घर जाने देते? ये तो जरनैल सिंह सिख समाज का और पत्रकार था,ऊपर से चुनाव। बात वोटों की हो तो फ़िर क्या कहने।
Tuesday, April 7, 2009
शर्मसार हुई पत्रकारिता,नेता बने जरनैल सिंह
Monday, April 6, 2009
नारदमुनि को वापिस भेजा
धर्मराज ने पूछा--ये राहुल कौन है? नारदमुनि--हिंदुस्तान के युवराज हैं महाराज। धर्मराज--तुम्हारा युवराज तो कमाल का है। उसके पास कार तक नहीं है। नारदमुनि--महाराज हिंदुस्तान में तो लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास घर बार और रोटी तक नही है। फ़िर राहुल के पास तो सरकार है,उसको कार क्या करनी है। धर्मराज--लोगों के पास घर बार और रोटी नहीं है! ये तो भारत के न्यूज़ चैनल नहीं दिखा रहे। वे तो बार बार यही बता रहें है कि राहुल के पास कर नहीं है। नारदमुनि--महाराज आम आदमी के अभाव,दर्द,प्रताड़ना,उसके साथ होने वाला अन्याय ,जुल्म हिंदुस्तान में कोई ख़बर नहीं मानी जाती है। वहां का मीडिया तो बड़ों के लिए है।
धर्मराज--तो फ़िर.......... नारदमुनि--महाराज क्या क्या पूछोगे,मैं जानता हूँ मैं वहां कैसे रहता हूँ। एक जरा से झूठ की वजह से मुझे पकड़ कर यहाँ लाया गया। हिंदुस्तान में तो केवल और केवल झूठ की चलता है। सच तो इधर उधर झूठ के डर से दुबका रहता है। महाराज आप अपना फैसला सुनाओ। धर्मराज--तुमको आरोप मुक्त किया जाता है। दूत नारदमुनि को वापिस हिंदुस्तान भेज दिया जाए। दरबार में बैठे सभी देवी देवताओं के चेहरों पर मुस्कान दिखाई दी। चित्रगुप्त ने आकर मीडिया को फैसले की जानकारी दी। फ़िर वे शुरू हो गए अपने अपने अंदाज में।
Sunday, April 5, 2009
धर्मराज का दरबार
धर्मराज के संतुष्ट होने के बाद नारदमुनि को बताया गया कि उनको इस प्रकार से क्यों लाया गया था। उन पर अपनी मौत की झूठी ख़बर लिखने का आरोप है। धर्मराज ने कहा- अगर नारदमुनि ऐसा करेगा तो फ़िर विश्वास किस पर किया जाएगा। नारदमुनि को अपनी बात कहने का अवसर दिया गया। नारदमुनि बोले-- महाराज जिस लोक में मैं आजकल रहता हूँ वहां बच्चे से लेकर बूढे तक के चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी है। हँसी ठट्ठा भी संता बंता के नाम से किया जाता है। लोग किसी कि खुशी में खुश नही होते। लोग एक दूसरे को जिन्दा ओर खुशहाल देखकर अन्दर ही अन्दर मरते रहते हैं। इस लिए मैंने अपनी मौत की बात की। वह भी पहली अप्रैल को।
आप मेरा ब्लॉग देख लो इसी झूठ पर कई जने मुस्कुराये। महाराज मैंने किसी ओर को हंसने-हँसाने का पात्र नहीं। इसके लिए मैंने अपने आप को प्रस्तुत किया। महाराज किसी ओर पर हंसना गुनाह हो सकता है अपने आप पर नहीं।
नारदमुनि की बात पर दरबार में काना फूसी शुरू हो गई। कुछ टिप्पणियां भी धीमे धीमे आने लगी। भारत की तरह न्यूज़ वालों को यहाँ कहीं भी आने की आजादी नही थी। इसलिए वे दरबार से बाहर अपनी अपनी तरह से इस ख़बर का प्रसारण कर रहे थे।
नारदमुनि ने अपनी बात ख़तम कर धर्मराज की ओर देखा। धर्मराज ने कुछ क्षण चित्रगुप्त से बात की। उसके बाद उन्होंने फैसला कल सुनाने की बात कह कर कार्यवाही समाप्त कर दी। उनके प्रवक्ता ने आकर मीडिया को यह जानकारी दी। उसके बाद भी टीवी वाले अपने अपने अनुमान फैसले के बारे में बताते और सुनाते रहे। जो तेज थे उन्होंने एक्सपर्ट अपने स्टूडियो में बुला लिए और बहस आरम्भ कर दी। बेले दर्शकों से राय मांगी जाने लगी। सारा दिन इसी में निकल गया।
Wednesday, April 1, 2009
नारदमुनि अब नहीं रहे
आप मुझे नहीं जानते। मैं नारदमुनि का दोस्त हूँ। उन्होंने खास तौर से मुझे ये जिम्मेदारी सौंपी थी। ताकि सभी को पता लग जाए कि नारदमुनि इस लोक की यात्रा पूरी करके चले गए।
आप कोई शोक संदेश देना चाहते हो तो ०९८४५०२२६६३ , ०९४१४२२०६६६ ,०९४१४५८०७८७,
आओ उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।