Tuesday, July 21, 2009

सास,सासरे की आस


सास,
सासरे की
आस।

आज, सबसे पहला फोन इसी आस के सदा के लिए टूट जाने का मिला। हालाँकि उनकी बीमारी को देखते हुए इस दुखद फोन कॉल ने तो आना ही था। इस से भी दुखद और कष्ट दायक था , इस फोन की जानकारी पत्नी को देना। जानकारी देनी ही थी। तुंरत दी भी। पत्नी की मां भी वैसी ही होती है जैसी ख़ुद की। जाना तो सभी ने है। इन्सान चाहे समय की पाबन्दी ना समझे। भगवान के यहाँ तो एक एक पल क्या एक एक साँस का हिसाब है। नारायण नारायण।

11 comments:

Dr. Ravi Srivastava said...

सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे, बधाई स्वीकारें।

आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
Link : www.meripatrika.co.cc

…Ravi Srivastava

संजय बेंगाणी said...

दुखद समाचार है. संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ.

निर्मला कपिला said...

दुखद अमाचार मेरी नमन श्रधाँजली आभार्

डॉ. मनोज मिश्र said...

संवेदनाएं, नारायण नारायण.

शरद कुमार said...

Narayan narayan apki rachna hriday vidarak hai.Abhar

दिनेशराय द्विवेदी said...

किसी भी आत्मीय का बिछड़ना सदैव कष्ट कारक तो होता ही है। लेकिन जिस ने जन्म लिया है उस ने जाना ही है। इसे तो स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं है। आप को और भाभी को इस दुःख से उबरने के लिए बहुत संवेदनाएँ।

वाणी गीत said...

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!

मनोज गुप्ता said...

एक न एक दिन जाना तो सभी को है किन्तु माँ के चले जाने की छति अपूर्णीय है. किसी कवि की एक पंक्ति याद आती है कि 'शेष नहीं खोने को अब कुछ, माँ के खो जाने के बाद'. मेरी संवेदनाये.

Murari Pareek said...

मौत से किसकी यारी है ?
आज मेरी तो कल तेरी बारी है |
दिवंगत आत्मा की शांति के लिए परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ |

MUKESHNANDA said...

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!

MUKESHNANDA said...

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!